ब्याह ??? (1) “नैन नक्श तो बडे कंटीले हैं साफ़ सुथरे दिल को चीरने वाले गर जुबान पर भी नियन्त्रण होता तो क्या जरूरत थी फिर से सेज चढने की ।“ “ हाय हाय ! जीजी ये क्या कह दिया ? जो कह रही हो सोचा कभी तुम भी वो ही कर रही हो वो ही जुबान बोल रही हो । न जीजी कोई औरत कब खुशी से दोबारा सेज सजाती है, जाने क्या मजबूरी रही होगी, कभी इस तरह भी सोचा करो । औरत की तो बिछावन और जलावन दोनो ही कब किसी के काम आयी हैं, वो तो
Full Novel
ब्याह ??? - 1
ब्याह ??? (1) “नैन नक्श तो बडे कंटीले हैं साफ़ सुथरे दिल को चीरने वाले गर जुबान पर भी होता तो क्या जरूरत थी फिर से सेज चढने की ।“ “ हाय हाय ! जीजी ये क्या कह दिया ? जो कह रही हो सोचा कभी तुम भी वो ही कर रही हो वो ही जुबान बोल रही हो । न जीजी कोई औरत कब खुशी से दोबारा सेज सजाती है, जाने क्या मजबूरी रही होगी, कभी इस तरह भी सोचा करो । औरत की तो बिछावन और जलावन दोनो ही कब किसी के काम आयी हैं, वो तो ...Read More
ब्याह ??? - 2 - अंतिम भाग
ब्याह ??? (2) “ मौसी, आज सारी दुनिया के लिए मैं ही गुनहगार बना दी गयी मगर यदि आप जानतीं तो कभी ऐसा न कहतीं बल्कि उस पूरे परिवार से घृणा करतीं ऐसे लोग समाज पर बोझ हुआ करते हैं मगर जाने इनके झूठ कैसे परवान चढ जाया करते हैं और एक स्त्री के सच भी जाने किन कब्रों में दफ़न कर दिये जाते हैं कि वो सच कहना भी चाहे तो उसे झूठ का लिबास पहना दिया जाता है और कलंकित सिद्ध कर दिया जाता है । “ “मौसीस दिन मैने डोली से नीचे पाँव रखा उस दिन ...Read More