निर्वाण

(8)
  • 21.4k
  • 4
  • 5.6k

निर्वाण (1) 15 अगस्त, 2016 आमफावा फ्लोटिंग मार्केट की सीढ़ियों पर उस दिन हम देर तक बैठे रहे थे। हम यानी मैं और माया- माया मोंत्री! बिना अधिक बात किए। दिसंबर की यह एक धूप नहायी सुबह थी, बेहद ताज़ा और ठंड, दिन चढ़ने के साथ धीरे-धीरे मीठी ऊष्मा से भरती हुई... हवा में अजीब-सी गंध थी- घाट की अनगिनत सीढ़ियों पर तितली के रंग-बिरंगे जत्थे-से मँडराते पूरी दुनिया से आए सैलानियों की देह गंध, नावों में पकते-बिकते थाई पकवानों की गंध और गंध नदी की, नावों में लदे मौसमी फूलों और फलों की... गंध के इस मसृण संजाल में

Full Novel

1

निर्वाण - 1

निर्वाण (1) 15 अगस्त, 2016 आमफावा फ्लोटिंग मार्केट की सीढ़ियों पर उस दिन हम देर तक बैठे रहे थे। यानी मैं और माया- माया मोंत्री! बिना अधिक बात किए। दिसंबर की यह एक धूप नहायी सुबह थी, बेहद ताज़ा और ठंड, दिन चढ़ने के साथ धीरे-धीरे मीठी ऊष्मा से भरती हुई... हवा में अजीब-सी गंध थी- घाट की अनगिनत सीढ़ियों पर तितली के रंग-बिरंगे जत्थे-से मँडराते पूरी दुनिया से आए सैलानियों की देह गंध, नावों में पकते-बिकते थाई पकवानों की गंध और गंध नदी की, नावों में लदे मौसमी फूलों और फलों की... गंध के इस मसृण संजाल में ...Read More

2

निर्वाण - 2

निर्वाण (2) गौरांग-सा दिव्य रूप था नकूल बोधिसत्व का! उनके चेहरे पर हमेशा बनी रहने वाली स्मित मुस्कान से था, वह जीवन के अनंत दुखों के पार कहीं स्थायी ठिकाना पा गये हैं। कितनी अद्भुत, कितनी विरल होगी वह अवस्था... अपने अबुझ दुखों, अनचीन्ही कामनाओं की गठरी उठाए मैं उनके पीछे-पीछे अनायास चल पड़ा था, जाने किस प्रत्याशा में! उन्होंने भी मना नहीं किया था, आने दिया था मुझे अपने साथ, एक रूहानी सफर पर! मगर उस वक्त मुझे पता नहीं था, शरीर का दाय अभी पूरी तरह चुका नहीं है! देह की मिट्टी उर्बर भी है और प्यासी ...Read More

3

निर्वाण - 3 - अंतिम भाग

निर्वाण (3) भगवान अफरोदित के प्राचीन मंदिर के गलियारे में यूलिया अपने सर पर तारों का मुकुट पहने सालों बैठी है मगर अब तक उसे किसी पुरुष ने पैसे दे कर नहीं खरीदा है क्योंकि वह अन्य अभिजात महिलाओं की तरह गौर वर्ण और सुंदर नहीं है। संभ्रांत महिलाए अपने दास-दासियों के साथ रथ में सवार हो सुंदर परिधानों में आती हैं, आते ही उनके आसपास देह लोलुप पुरुषों की भीड़ लग जाती है। कोई बढ़ कर “मैं तुम्हें देवी मयलिटा के नाम से सहवास का निमंत्रण देता हूँ” कह कर उसकी गोद में कुछ सिक्के रख देता है ...Read More