उधड़ा हुआ स्वेटर

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उधड़ा हुआ स्वेटर सुधा अरोड़ा (1) यों तो उस पार्क को लवर्स पार्क कहा जाता था पर उसमें टहलने वाले ज्यादातर लोगों की गिनती वरिष्ठ नागरिकों में की जा सकती थी. युवाओं में अलस्सुबह उठने, जूते के तस्मे बाँधने और दौड़ लगाने का न धीरज था, न जरूरत. वे शाम के वक्त इस अभिजात इलाके के पंचसितारा जिम में पाए जाते थे- ट्रेडमिल पर हाँफ-हाँफ कर पसीना बहाते हुए और बाद में बेशकीमती तौलियों से रगड़-रगड़ कर चेहरे को चमकाते और खूबसूरत लंबे गिलासों में गाजर-चुकन्दर का महँगा जूस पीते हुए. लवर्स पार्क इनके दादा-दादियों से आबाद रहता था. सुबह-सबेरे

Full Novel

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उधड़ा हुआ स्वेटर - 1

उधड़ा हुआ स्वेटर सुधा अरोड़ा (1) यों तो उस पार्क को लवर्स पार्क कहा जाता था पर उसमें टहलने ज्यादातर लोगों की गिनती वरिष्ठ नागरिकों में की जा सकती थी. युवाओं में अलस्सुबह उठने, जूते के तस्मे बाँधने और दौड़ लगाने का न धीरज था, न जरूरत. वे शाम के वक्त इस अभिजात इलाके के पंचसितारा जिम में पाए जाते थे- ट्रेडमिल पर हाँफ-हाँफ कर पसीना बहाते हुए और बाद में बेशकीमती तौलियों से रगड़-रगड़ कर चेहरे को चमकाते और खूबसूरत लंबे गिलासों में गाजर-चुकन्दर का महँगा जूस पीते हुए. लवर्स पार्क इनके दादा-दादियों से आबाद रहता था. सुबह-सबेरे ...Read More

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उधड़ा हुआ स्वेटर - 2

उधड़ा हुआ स्वेटर सुधा अरोड़ा (2) ‘‘ओह!’’ बूढ़े ने अकबकाकर सिर हिलाया- हैरानी में और उससे ज्यादा घबराहट में. औरत झूठ भी तो बोल सकती थी. लेकिन सच है, उसने सोचा, ऐसे खुलासे अजनबियों के सामने यकायक हो उठते हैं. ‘‘आप जो प्राणायाम करती हैं न उसमें एक एडीशन करता हूँ.’’ बूढ़े ने ऐसे इत्मीनान से कहा जैसे औरत के अपनी ज़िंदगी के खुलासे को उसने तवज्जो दी ही नहीं. ‘‘देखिये, ओssम् तो आप करती ही हैं, उसके पहले का हरी ई ई ई ..... खींचकर उसी अंदाज़ में करिए! इससे वायब्रेशंस यहाँ ब्रह्मतालू पर होते हैं जहाँ छोटे ...Read More

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उधड़ा हुआ स्वेटर - 3

उधड़ा हुआ स्वेटर सुधा अरोड़ा (3) एक बेटी माँ कहती है दूसरी ‘मॉम‘, और दोनों उस पर जान छिड़कती फिर भी शिवा बादलों के साये से बाहर नहीं आ पाती. बीता हुआ वक्त सामने अड़कर खड़ा हो जाता है. शिवा ने चाहा आज वह खुलकर मुस्कुरा ले. ‘थैंक्यू’ - उसने बेटी का माथा चूमा और कमरे में सोने चली गई. अगले रोज वह पार्क में गई तो बूढ़ा नियत जगह पर पहले से ही बैठा था. शिवा पास गई तो वह एक ओर सरक कर उसके बैठने की जगह बनाने लगा. शिवा ने कहा- ‘‘पहले चक्कर लगा आऊँ.’’ ‘‘आज ...Read More

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उधड़ा हुआ स्वेटर - 4 - अंतिम भाग

उधड़ा हुआ स्वेटर सुधा अरोड़ा (4) ‘‘सॉरी!’’ उसने माफी माँगी, पर शब्द बुदबुदाहट में सिमट कर रह गए. बाएँ की उँगलियों ने उठकर धीरे से दूसरी कुर्सी की ओर इशारा किया- ‘‘बैठ जाइए प्लीज़!’’ बूढ़े ने सुना नहीं और कुर्सी पर अनमनी-सी बैठी शिवा की आँखों में झाँका. शिवा ने एकाएक महसूस किया कि उसकी आँखों की कोरों पर बूँदें ढलकने को ही थीं. ये आँसू भी कभी-कभी कैसा धोखा देते हैं- बिन बुलाए मेहमान की तरह मन की चुगली करते हुए आँखों की कोरों पर आ धमकते हैं और बेशर्मी से गालों पर ढुलक कर मन के बोझिल ...Read More