आदमखोर

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आदमखोर (1) भूरे - काले बादलों का समूह अचानक पश्चिमी क्षितिज में उभरने लगा. सरजुआ के हाथ रुक गये. हंसिया नीचे रखकर वह ऊपर की ओर देखने लगा. हवा का बहाव तेज होता जा रहा था. भूरे बादलों के छोटे-छोटे द्वीप आसमान में तैरते हुए पूरब की ओर बढ़ने लगे. चीलों और कौओं

Full Novel

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आदमखोर - 1

आदमखोर (1) भूरे - काले बादलों का समूह अचानक पश्चिमी क्षितिज में उभरने लगा. सरजुआ के हाथ रुक गये. नीचे रखकर वह ऊपर की ओर देखने लगा. हवा का बहाव तेज होता जा रहा था. भूरे बादलों के छोटे-छोटे द्वीप आसमान में तैरते हुए पूरब की ओर बढ़ने लगे. चीलों और कौओं ...Read More

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आदमखोर - 2 - अंतिम भाग

आदमखोर (2) "लम्बरदार, आप----?" साश्चर्य उसने पूछा. "कौ---कौ----कौन---?" "मैं हूं सरजू, लम्बरदर!" "स----स----स---र---- जू----ग----ग----- जब-----ठण्ड ----है----. लगता है----प्राण निकल----जायेंगे." प्रकार रमेसर सिंह कह पाये. सरजुआ चुप रहा. रमेसर सिंह को कांपता-दांत किटकिटाता देख उसे अच्छा लग रहा था. "----बूढ़ा----खूसट----खूब गरीबन का खून चूसा है तैने---- अब कहां गई ऊ हेकड़ी----." वह मन-ही मन बुदबुदाया. "क्या----करने आया था रे यहां?" "आपै ते तो पूछा रही लम्बरदार पतावर खातिर. आज सुब्बो से वही काटित रही." "ओह---ठीक है -- ठीक है. हे भगवान--- फसल तो सब सत्तानास हो गई. लागत है पत्थर गिरी----." सरजुआ फिर चुप रहा. इस समय उसके दिमाग में ...Read More