इच्छा एक ऐसी लड़की कहानी है जो साधारण परिवेश मन बुद्धि की होते हुए भी विशेष परिस्थिति ने उसे विशेषता प्रदान की .इच्छा अपने घर मे चार बहनो मे सबसे बड़ी थी समान्य बुद्धि होने के बावजूद वह अपने भविष्य को लेकर काफी चिन्तित थी ग्यारहवी मे पहुँचते ही, माता पिता को उसके विवाह की चिन्ता चक्रवृद्धि ब्याज के साथ ,कर्ज सी सताने लगी. उस समय एक साधारण सरकारी नौकरी मे तनख्वाह से घर चलाना ही बड़ा मुश्किल हो रहा था .उस पर विवाह की चिन्ता ,सिर पर रख्खे कई मन बोझ सी प्रतीत हो रही थी,इसी बीच मानो
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इच्छा - 1
इच्छा एक ऐसी लड़की कहानी है जो साधार परिवेश मन बुद्धि की होते हुए भी विशेष परिस्थिति ने उसे प्रदान की .ईच्छा अपने घर मे चार बहनो मे सबसे बड़ी थी समान्य बुद्धि होने के बावजूद वह अपने भविष्य को लेकर काफी चिन्तित थी ग्यारहवी मे पहुँचते ही माता पिता को उसके विवाह की चिन्ता चक्रवृद्धि ब्याज के साथ कर्ज सी सताने लगी एक उस समय साधार सरकारी नौकरी मे तनख्वाह से घर चलाना ही बड़ा मुशि्कल हो रहा था उस पर विवाह की चिन्ता सिर पर रख़्खे कई मन बोझ सा प्रतीत हो रहा था इसी बीच मानो ...Read More
इच्छा - 2
कई दिनो तक चलता रहा इच्छा का सुबह स्नान के बाद सबसे पहला कार्य ईश्वर का ध्यान था संस्कार उसे बचपन मे ही विरासत मे मिला था दिन के चौबीस घण्टो मे कई बार परमात्मा से बाते करती कई बार तो वह उनसे ऐसे लड़ती मानो वो सामने बैठे सुन रहे हो शादी के बाद उसका और था ही कौन माँ बाप से अपनी पीड़ा कह भी नही सकती थी कारण वो पहले ही तीन बेटियो के विवाह की चिन्ता से ग्रसित है उन्हे बताना मानो एक बोझ और, जो क्या उन्हे जीने देता माँ बाप की पीड़ा के ...Read More
इच्छा - 3
इन बिजलियों ने तो सब उजाड़ ही कर दिया . घर से कम्पनी तक की दूरी ने मानो इच्छा सारा सामार्थ्य खींच लिया हो आज तक उसने जितने भी इन्टरव्युव दिये उनसे मिली निराशा ने कभी इच्छा को अन्दर से इतना कमजोर नही किया जितना आज ,जैसे एक बंजरता की ओर उन्मुख भूमि को घने काले बादलो ने ढक लिया हो और हवायें उन्हे सरकाती हुई उड़ा ले गयी . पहली बार इच्छा अपनी असफलता को किस्मत के कंधो पर डाल खुद को सहज अनुभव कराना चाहती थी पर प्रयास असफल रहा वह खुद को ही कोसने लगी "मै ...Read More
इच्छा - 4
लगभग एक घण्टे पश्चात बाहर का गेट जो कि इतना चौड़ा कि एक ट्रक ,एक कार एकसाथ आराम से प्रवेश कर सकते थे खुलने की आवाज आती है इच्छा का ध्यान गेट की तरफ आकर्षित होता है रिशेप्शन से बाहर का नजारा साफ-साफ दिखाई देने की वजह से सिर को थोड़ा सा घुमाकर इच्छा सबकुछ देख पा रही थी . एक लाल रंग की स्विफ़ट गाड़ी अंदर प्रवेश करती है उसी गाड़ी में गेट खोलते हुए एक लगभग सात फुट का गौरवर्ण खूबसूरत नौजवान आँखो को सनग्लासेस से ढके हुये अंदर प्रवेश करता है . उनके अन्दर आने से ...Read More
इच्छा - 6
आज एक नई जगह पर इच्छा का पहला दिन वैसे अधिकांश लोगो से वह पहले ही मिल चुकी थी. के सिलसिले मे लोग दूसरी ब्रान्च मे अक्सर आया करते थे पर कुछ लोगो से पहली बार मुलाकात हुई. वैसे नाम से इच्छा सबको जानती थी और सबके बारे मे शिवप्रशाद इच्छा को बताता रहता था.यहाँ जो प्योन था उसका नाम था जयशंकर जो बहुत ही सीधा -साधा कभी किसी के काम को मना न करता शिवप्रशाद की तरह .और उसकी तरह मुहँफट भी नही था शिवप्रशाद के अन्दर अपनी वास्तविक स्थिति के प्रति असंतुष्टि ने कुण्ठा को व्याप्त कर ...Read More
इच्छा - 5
इच्छा बचपन से ही एक अन्तरमुखी स्वाभाव वाली लड़की थी कुछ बचपन का परिवेश और कुछ पारिस्थितिक प्रदत कुंठाओ उसकी जिव्हा और कुछ हद तक दिमाग पर अधिकार कर रख्खा था अगर कुछ स्वच्छंदता थी तो उसकी कल्पनाशीलता और विचार शक्ति में क्योंकि यही वो दो चीजे हैं जितना हनन किया जाये यह उतनी ही उन्नत अवस्था प्राप्त कर लेती हैं. फोन लगातार बजे जा रहा है पर इच्छा की हिम्मत नही कर रही उसे उठाने की आखिर वह उठाकर बात क्या करती उसे तो कुछ भी पता नही था .शिवप्रशाद के बार-बार कहने पर वह फोन का रिसिवर ...Read More
इच्छा - 7
इच्छा की कम्पनी मे ही एक रमेश जी थे ,जो सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत थे. वैसे इच्छा उनसे कभी कोई बात नही हुई .हाँ यदा-कदा आते -जाते "मैडम जी नमस्ते कैसे हैं."का संवाद हो जाता था . इच्छा उनके बारे मे ज्यादा जानकारी नही रखती थी. लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने इच्छा को हिलाकर रख दिया . वैसे तो रमेश जी कम्पनी मे एक सज्जन स्वभाव वाले व्यक्ति थे .लेकिन उनकी एक बुरी आदत थी, वह यह कि उन्हे शराब की बुरी लत लगी थी .आफिस से घर पहुँचते ही वे रोज इसका सेवन करते थे ...Read More
इच्छा - 8
अभी इच्छा का इन्टरव्युव का खत्म नही हुआ था. लेकिन ये सिर्फ इसलिए था ,कि उसे किस डिपार्टमेन्ट मे जाये .अपनी पूर्व की कम्पनी मे भले ही इच्छा रिसेप्शन पर थी पर, उसकी सीखने वाली प्रवृत्ति ने बहुत कुछ सिखा दिया था, उसे . कम्पनी से माल भेजना बिल तैयार करना.बाहर भेजने पर कितने माल के साथ कौन सा फार्म लगता है , एन्क्वाइरी , कोटेशन बनाना इत्यादि वह पहले ही सीख चुकी थी .उसकी महत्वकांक्षाओं ने उसे रिसेप्शन तक ही सीमित नही रहने दिया. वह आस्वस्त थी ,कि उसे जो भी काम दिया जायेगा वह कर लेगी.आज इच्छा ...Read More
इच्छा - 9
वैसे तो डी डी शर्मा जी का व्यक्तित्व बाहर से एक ,ज़िन्दादिल और हसमुँख व्यक्ति का था. अन्तर्मन की कुछ पीड़ाये, कभी-कभार चेहरे पर झलक आती. किन्तु पलक झपकते ही, उसे भी छुपा लेने मे उन्हे ,महारथ हासिल थी. डी डी शर्माजी की दो बेटियाँ और एक बेटा था. बड़ी बेटी की तो शादी हो गई थी . किन्तु एक बेटा जो बड़ी बेटी से छोटा था ,और छोटी बेटी की शादी के लिए हमेशा चिन्तित रहते थे . उनकी छोटी बेटी इच्छा से, तीन साल बड़ी थी. डी डी शर्माजी ने लड़के वालो को देने के लिए इच्छा से ...Read More
इच्छा - 10
हादसे के बाद कम्पनी कई दिनो के लिए सील कर दी गई. हादसे की भयानक पीड़ा को वक्त के ने कुछ हद तक कम कर दिया था | जाँच पड़ताल के पश्चात कंपनी को पुनः खोलने की परमीशन मिल गई | आज बहुत दिनो के बाद फिर से स्टाफ इकट्ठा हुआ, इच्छा तो मानो कैद से छूट कर आई हो | आज खुली हवा मे साँस लेने का अहसास हो रहा था उसे, बहुत दिनो के बाद आज फिर सब इकट्ठा थे| फाइलो पर धूल मिट्टी जम गई थी ,वैसे मेज, कम्प्यूटर व बाहर रखी फाइलो पर तो ,जयशंकर ...Read More
इच्छा - 11
आठ महीने गुजर गये | हॉलाकि उसके जीवन मे कोई विशेष परिवर्तन न आया था ,सिवाय इसके कि खुद को पहले से अधिक सहनशील बनाने की कोशिश कर रही थी | मन से ज्यादा शक्तिशाली, और मन से ज्यादा कमजोर, कुछ भी नही अपनी परिस्थितयों को बदलने के लिए , यह बात इच्छा को उस दिन समझ आयी जब, रोज की तरह आफिस से आने के बाद इच्छा चाय बनाने किचन मे घुसी |लाइट गई हुई थी ,इसलिए किचन मे अंधेरा था | वैसे यह कोई नई बात नही थी, लाइट सप्लाई कट का यह नियत समय था , ...Read More
इच्छा - 12
अखिर बेचैनी का मंजर थोड़ा बदला, धीमी रफ़्तार से आती हुई ट्रेन को देखकर | इच्छा ट्रेन के रूकने पहले ही अपने दोनो बच्चो को लेकर ट्रैक पर पहुँच जाती है | ट्रेन के रूकते ही भीड़ को सम्भालते हुए पहले बच्चो को अन्दर करती है, तत्पश्चात भीड़ मे खुद को सम्भालती हुई , स्वयं भी ट्रेन मे प्रवेश कर जाती है | भीड़ की धक्का- मुक्की उन्हे स्लीपर क्लास बोगी मे पहुँचा देती है, जहाँ सौभाग्यवश इच्छा को बच्चों सहित खड़ा देख लोअर सीट पर बैठे एक व्यक्ति ने अपने पास बैठा लिया | तत्पश्चात इच्छा को खड़े ...Read More
इच्छा - 13
अभी इच्छा की मुश्किले खत्म नहीं हुई थी | उसके सामने जो सबसे बड़ी समस्या थी, वह थी बच्चों अधूरी पढ़ाई जो , रात -दिन उसे सोने नही दे रही थी | किसी तरह दौड़- भाग कर उसने इस समस्या का हल भी आखीर तलाश ही लिया |जिस वजह ने इच्छा को इतने वर्षों तक तपस्या करवायी वह आज भी यथावत थी, और वह थी सामाजिक सोच और मान्यताएँ | किन्तु समय की अग्नि मे सोलह वर्षो की आहुति से उसमे कुछ नर्मी सी आ गई थी | अब लोग सहानुभूति का अभिनय करते हुए ,बेचारी शब्द से उसे ...Read More
इच्छा - 14
मनुष्य जीवन मे सीखने की प्रक्रिया माँ के गर्भ त्याग के समय रोने के साथ ही प्रारम्भ हो जाती , और जीवन पर्यन्त चलती रहती है | किन्तु दुर्भाग्यवश हमारे देश मे कागजो पर काबलियत का दर्ज होना अवसर की अनिवार्यता बन जाती है | ऐसे मे कोई यहाँ की कमजोर शिक्षा को अवसर मे परिवर्तित करे तो वास्तव मे वह धन्यभागी ही हो जाता है | इच्छा जिस इन्श्योरेन्स कम्पनी मे काम कर रही थी, यह एक ऐसी ही कम्पनी थी ,जहाँ समान्य औरतो को अवसर की उपलब्धता उनके अन्दर के जुनून को विकास का मार्ग प्रशस्त कर ...Read More
इच्छा - 15
अमूमन रविवार को इच्छा सबके साथ लेट ही उठती ,किन्तु आज सुबह जल्दी उठ स्नानादि के पश्चात वह सूटकेस सेट करने लगी | कमरे मे कुछ आवज सी सुन प्रतीक्षा की भी नींद खुल जाती | प्रतीक्षा , अपने बालो को समेट जूड़ा बनाती, जम्हाईं के साथ, क्या कर रही है इच्छु? इच्छा, मुझे जाना होगा पुरू! रूम पार्टनर वहाँ पहुँच गई है, उसके साथ मिलकर वहाँ की साफ-सफाई भी तो करनी है | प्रतीक्षा, तूने तय कर लिया अब तुझे जाना ही है ? इच्छा, बड़ी मासूमियत से क्षमाभाव लिए प्रतीक्षा की तरफ देखती है | प्रतीक्षा, ठीक ...Read More
इच्छा - 16
अगले दिन सुबह मोबाइल ओपन करते ही लगभग सत्रह मिस कॉले जो सुबह चार बजे से लेकर लगभग छः तक हर दस, पन्द्रह मिनट के अन्तराल पर थी | इच्छा कुछ बड़बड़ाती हुई "अब मैडम ! चार बजे उठने लगी |" प्रतीक्षा को बैक कॉल लगाती है | उधर से किसी पुरूष ने उठाया , हाँ जी हेलो !! इच्छा सकपकाकर लगता है गलत नंबर लग गया | जी नही!!बिल्कुल सही नंबर, सही जगह पर लगाया है आपने इच्छा जी!! | आप कौन? ? हम्म !! साली पूँछ रही है जीजा कौन?इच्छा सारी बात समझते हुए "कौशल जी!! आप कौशल ...Read More
इच्छा - 17
इच्छा के सोलहवे एपिसोड मे आपने पढ़ा...प्रतीक्षा के पति कौशल का तबादला उसके अपने शहर मे हो जाता है, जिससे प्रतीक्षा बहुत खुश है | वह इच्छा को घर बुलाती है जहाँ इच्छा को पता चलता है कि आज आज कौशल का जन्मदिन है| सादगी से जन्मदिन मनाने के पश्चात इच्छा घर जाने को होती है, प्रतीक्षा उसे रोक मिठाई व केक का पैकेट उषा को देने के लिए कहती है आगे.... इच्छा कुछ कदम बढ़ी ही थी कि प्रतीक्षा उसे रोकते हुए ,इच्छु! जरा सुन ! अंधेेेेरा काफी हो गया तूू अकेली मत जा !!यह कहकर प्रतीक्षा कौशल से इच्छा ...Read More
इच्छा - 18
ऑन्टी इच्छा और उषा से इस प्रकार घुल मिल गई थी कि ,किचन मे कोई भी खास व्यंजन बनाती इच्छा और उषा के लिए जरूर रखती | और उधर इच्छा और उषा ऑफिस से आने के पश्चात अपने रूम मे जाने से पहले ऑन्टी का हाल चाल पूँछ लिया करती एक वाक्य के साथ "आन्टी बाजार से कुछ लाना तो नही |" ऑटी भी पूरे हक से उन दोनो को काम सौप देती थी, और दूसरे दिन शाम को घर लौटते वक्त ऑटी का सामन ले आती थीं | सन्डे को तो उन दोनो का पूरा दिन ऑन्टी के ...Read More
इच्छा - 19
कई सप्ताह बीत जाने पर भी दोनो के मन से कम्पनी से निकाले जाने का भय नही गया था एकदिन सचमुच उनके हाथ मे दो महीने की इंटीमेशन के साथ लेटर हाथ मे थमा दिया जाता है | जिसमे कम्पनी ने अपनी असमर्थता के साथ निकालने का कारण लिखा था | लेटर को पाकर भी इच्छा और उषा दोनो के ही चेहरे पर किसी प्रकार का बदलाव नही था| जैसे वे दोनो इसी की प्रतीक्षा कर रही थीं |जबसे नौकरी जाने की आन्तरिक सूचना मिली थी तब से ही, दोनो मानो बँधी बँधी सी रहने लगी थी | वो ...Read More
इच्छा - 20
दोपहर लगभग बारह बजे इच्छा पैकिंग मे व्यस्त थी कि तभी, डोरबेल बजती है | इच्छा दरवाजा खोलती है गेट पर, अरे ! प्रभाकर जी आप? प्रभाकर "जी ! क्या मै अन्दर आ सकता हूँ |" इच्छा अपनी प्रतिक्रिया पर सकुचाते हुए "जी - जी ! बिल्कुल अन्दर आईये |" प्रभाकर की तलाशती नजरों को ताड़ते हुए इच्छा पूँछ बैठती है, " क्या हुआ प्रभाकर जी आप किसी को ढूँढ रहे हैं? " सकपकाते हुए नही वो !!आपके साथ जो थीं उषा नाम था जी उनका | इच्छा हाँ ! वो शादी की तैयारी मे लगी हैं कुछ खरीदारी ...Read More