कहा न कहा

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कहा न कहा (1) अब तक तो उसे आ जाना चाहिए था। दोपहर के बारह बजने वाले थे। घड़ी की सुई अपनी रफ्तार से बढ़ती जा रही थी। उसका तो नामोनिशान नहीं है। ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ। वह तो सदा यहां एक घंटा पहले ही आ बैठता है। आज ऐसा क्‍या हो गया है ? उस दिन उसकी सोशल व

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कहा न कहा - 1

कहा न कहा (1) अब तक तो उसे आ जाना चाहिए था। दोपहर के बारह बजने वाले थे। घड़ी सुई अपनी रफ्तार से बढ़ती जा रही थी। उसका तो नामोनिशान नहीं है। ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ। वह तो सदा यहां एक घंटा पहले ही आ बैठता है। आज ऐसा क्‍या हो गया है ? उस दिन उसकी सोशल व ...Read More

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कहा न कहा - 2 - अंतिम भाग

कहा न कहा (2) “ये देखो । मेरे चहीते का तोहफा।” पीटर ने खिल्ली उड़ाते कहा। “तुम इसे गुलदस्ता हो ?” “पीटर प्लीज़, मत करो उपहास उसका”, सोचो जॉर्ज ने कितनी मेहनत की होगी सुबह-सुबह फूल चुनने में। “डेजी” तुम भी कभी-कभी भावुक हो जाती हो। “और तुम निर्दयी।” “डेजी प्लीज़, जरा जल्दी करो।” बहुत से काम खत्म करने हैं। चलकर पहले अतिथियों की सूची का काम कर लेते हैं। वह तो रात को घर पर ही कर लेंगे। चलो फ्लैट का काम खत्म कर लेते हैं। वहीं से फोन करके पीज़ा मंगा लेंगे। डेज़ी ने सुझाव दिया। दोनों ...Read More