ततइया (1) शन्नो बारिन कमर के नीचे चाँदी की चौड़ी करधनी कसे अलता लगे पैरों में पड़ी पायल की मधुर लय के संग जब बाल्टी उठाए गुजरिया बनी म्यूनिस्पैलिटी के नल पर पहुँचती तो घूँघट में छिपे उसके मुख और हाथों में पड़ी लाल-हरी चूड़ियाँ देख बुजुर्ग औरतों को अपने दिन याद आ जाते। घर के सामने बैठी दोना बनाती यु)वीर बारी की माँ एकटक उसी को निहारती हो ऐसा नहीं था, मगर हरे-हरे पत्तों की अंजुली में तिनका खोंसकरजब वह उन्हें सामने डालती तो अपने आप नज़रें पल-भर के लिए बहू पर जा टिकतीं। आँखों में संतोष-भरी खुशी का
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ततइया - 1
ततइया (1) शन्नो बारिन कमर के नीचे चाँदी की चौड़ी करधनी कसे अलता लगे पैरों में पड़ी पायल की लय के संग जब बाल्टी उठाए गुजरिया बनी म्यूनिस्पैलिटी के नल पर पहुँचती तो घूँघट में छिपे उसके मुख और हाथों में पड़ी लाल-हरी चूड़ियाँ देख बुजुर्ग औरतों को अपने दिन याद आ जाते। घर के सामने बैठी दोना बनाती यु)वीर बारी की माँ एकटक उसी को निहारती हो ऐसा नहीं था, मगर हरे-हरे पत्तों की अंजुली में तिनका खोंसकरजब वह उन्हें सामने डालती तो अपने आप नज़रें पल-भर के लिए बहू पर जा टिकतीं। आँखों में संतोष-भरी खुशी का ...Read More
ततइया - 2
ततइया (2) ‘शन्नो भाग गई, आखिर क्यों | कुछ दिन पहले ही तो पता चला था कि---माँखुशी से भरकर पुरानी तावीज़ संदूक से निकाल लाई थी। उसको शन्नो के बाजू पर बाँधते हुए उसने दशहरे बाद उत्सव मनाने का कार्यक्रम बनाया था। फि़र एकाएक यह भूकंप |’सायकिल पर सवार यु)वीर ...Read More
ततइया - 3 - अंतिम भाग
ततइया (3) ”नहा-धोकर भोर में ही तैयार हो जाया कर, सारा दिन लोग आते-जाते हैं, अच्छा नहीं लगता बहू उल्टे पैर कोठरी में वापस चली गई। बारिन का चेहरा पीला चड़ गया। सिल्लो ने गटागट पानी पीया फि़र बोलीµ”चल री सहजो, तुझसे अच्छा वकील कोई नहीं हमारा---तू हराएगी उस ससुरे गिध को जो बात-बेबात बखेड़ा खड़ा कर रहा है।“”चलती हूँ,“ भरी आवाज़ में बारिन बोली। उसके तेवर तो टूटकर गिर चुके थे। मन में प्रश्न उठ रहा था कि वह तो बूढ़ा खूसट गिध है और तू क्या है सहजो---डायन, ततइया मंथरा या फि़र---किस मुँह से जाएगी तू किसी ...Read More