12 जनवरी 1972...जाड़े के दिन थे लीगल ग्राउंड कंपनी का चौकीदार बहादुर सिंह रात के समय धीमी आंच वाली लालटेन लिए कंपनी का मुयआना कर रहा था ...लेमपोश की जलती बुझती लाइट सड़क पर पड़ रही थी हवा का ठंडा झोंका रात की ठंड को ओर बडा रहा था पानी की बूंद नल से नीचे गिर रही थी जिसकी आवाज चारो तरफ डरवाना माहौल बना रही थी बहादुर एक दम से चोंक जाता है इतनी रात को किसकी आवाज हो सकती है मानो कोई दर्द से चिला रहा हो ऐसे आवाजे सुनकर बहादुर के भी हाँथ पाँव ठंडे हो जाते
Full Novel
एडवेंचर ऑफ़ करुण नायर - रहस्य भरतपुर का - Chapter - 1
12 जनवरी 1972...जाड़े के दिन थे लीगल ग्राउंड कंपनी का चौकीदार बहादुर सिंह रात के समय धीमी आंच वाली लिए कंपनी का मुयआना कर रहा था ...लेमपोश की जलती बुझती लाइट सड़क पर पड़ रही थी हवा का ठंडा झोंका रात की ठंड को ओर बडा रहा था पानी की बूंद नल से नीचे गिर रही थी जिसकी आवाज चारो तरफ डरवाना माहौल बना रही थी बहादुर एक दम से चोंक जाता है इतनी रात को किसकी आवाज हो सकती है मानो कोई दर्द से चिला रहा हो ऐसे आवाजे सुनकर बहादुर के भी हाँथ पाँव ठंडे हो जाते ...Read More
एडवेंचर ऑफ़ करुण नायर - रहस्य भरतपुर का - अध्याय 2 रहस्य का आगमन
सुबह का समय चारो तरफ चिड़ियो की चहचहाहट की आवाज गूंज रही है इंस्पेक्टर शिशौदिया कुर्सी पर बैठ कर फ़ाइल पर आंख गड़ाए हुए है उनके सामने राजकुमार विक्रम भी बैठे है बाहर चाय वाले ओर बाजार का रोज़ाना शोर सुनाई दे रहा है पुलिस स्टेशन में चहलकदमी का माहौल बना हुआ है अचानक गोखले कमरे में प्रवेश करता है थोड़ी देर शांत खड़े होकर एकदम से बोलता है ।सर जिसका डर था वही हुआसाफ साफ कहो गोखले ! इंस्पेक्टर शिशौदिया गोखले की तरफ देखते हुए कहते है ।सर मेने ऐसा केस कभी नही देखा आप भी चोंक जाओगे ...Read More
एडवेंचर ऑफ़ करुण नायर - रहस्य भरतपुर का - आत्महत्या या मर्डर
एक पुलिस का फोरेन्शिक टीम मेंबर बैडरूम के खुले दरवाजे के पास कुछ इन्वेस्टिगेशन कर रहा था दूसरा मेंबर लेंस द्वारा जमीन पर कुछ ढूंढ रहा था उतने में इंस्पेक्टर शिशोदिया औऱ करुण नायर विक्रम ओर सुजान के साथ आ जाता है वह इन्वेस्टिगेशन करने वाला पलटकर देखने ...Read More