गिद्ध (1) नवम्बर का आखिरी हफ्ता चल रहा था और हवा में हल्की सी खुनकी तैरने लगी थी। अभी ठंड आई तो नहीं थी पर मौसम बहुत खूबसूरत था। खूबसूरत फूलों का मौसम। मेरा लान भी फूलों से भरा था । जान बसती है मेरी इन पौधों में । इनसे बातें करना, इन्हें देखना, हौले से छूना मुझे नई उर्जा से भर देता है । उन दिनों स्वीट पी की बेलें अपने शबाब पर थीं । उस दिन बैगनी सफेद फूल अपनी मादक खुशबू से दिलोदिमाग पर रोमांस की खुमारी भर रहे थे। पी लेना चाहती थी इनकी महक। मैं अपने अंदर सब समो
Full Novel
गिद्ध - 1
गिद्ध (1) नवम्बर का आखिरी हफ्ता चल रहा था और हवा में हल्की सी खुनकी तैरने लगी थी। अभी आई तो नहीं थी पर मौसम बहुत खूबसूरत था। खूबसूरत फूलों का मौसम। मेरा लान भी फूलों से भरा था । जान बसती है मेरी इन पौधों में । इनसे बातें करना, इन्हें देखना, हौले से छूना मुझे नई उर्जा से भर देता है । उन दिनों स्वीट पी की बेलें अपने शबाब पर थीं । उस दिन बैगनी सफेद फूल अपनी मादक खुशबू से दिलोदिमाग पर रोमांस की खुमारी भर रहे थे। पी लेना चाहती थी इनकी महक। मैं अपने अंदर सब समो ...Read More
गिद्ध - 2
गिद्ध (2) बस क्लच उठा कर बाहर निकल ही रही थी कि काशी ने आकर कहा ‘’दीदी गाडी लग है। रात को क्या बनाऊ? या आप बाहर खायेंगी?” “मुझे नहीं खाना। तुम लोग अपने लिए जो चाहो बना लो। ......संगीता मेमसाब के यहाँ चलिए सलीम भाई।“ कह कर मै गाडी में बैठ गई। बहुत दिनों बाद किसी डिनर में जा रही थी। दोस्तों की झाड़ खाने के बाद अपने ही बनाये खोल से बाहर आने की एक कोशिश थी आज। “आप अभी आ रही है?” किसी ने पीछे से मेरे कंधे पर हाथ रखा। चौंक कर पलटी तो देखा सदाबहार कैसेनोवा डीके मुस्करा ...Read More