निर्मला

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प्रेमचन्द का यह उपन्यास ‘‘निर्मला’’ छोटा होते हुए भी उनके प्रमुख उपन्यासों में गिना जाता है। इस उपन्यास में उन्होंने दहेज प्रथा तथा बेमेल विवाह की समस्या उठाई है और बहुसंख्यक मध्यमवर्गीय हिन्दू समाज के जीवन का बड़ा यथार्थवादी मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है। रेमचन्द कृत निर्मला उपन्यास में अनमेल विवाह और दहेज-प्रथा की दु:खांत कहानी है। उपन्यास के अंत में निर्मला की मृत्यु इस कुत्सित सामाजिक प्रथा को मिटा डालने के लिए एक भारी चुनौती है।

Full Novel

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निर्मला अध्याय 1

प्रेमचन्द का यह उपन्यास ‘‘निर्मला’’ छोटा होते हुए भी उनके प्रमुख उपन्यासों में गिना जाता है। इस उपन्यास में दहेज प्रथा तथा बेमेल विवाह की समस्या उठाई है और बहुसंख्यक मध्यमवर्गीय हिन्दू समाज के जीवन का बड़ा यथार्थवादी मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है। रेमचन्द कृत निर्मला उपन्यास में अनमेल विवाह और दहेज-प्रथा की दु:खांत कहानी है। उपन्यास के अंत में निर्मला की मृत्यु इस कुत्सित सामाजिक प्रथा को मिटा डालने के लिए एक भारी चुनौती है। ...Read More

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निर्मला अध्याय 2

प्रेमचन्द का यह उपन्यास ‘‘निर्मला’’ छोटा होते हुए भी उनके प्रमुख उपन्यासों में गिना जाता है। इस उपन्यास में दहेज प्रथा तथा बेमेल विवाह की समस्या उठाई है और बहुसंख्यक मध्यमवर्गीय हिन्दू समाज के जीवन का बड़ा यथार्थवादी मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है। पिता उदयभानु लाल की मृत्यु हो जाने पर माता कल्याणी दहेज न दे सकने के कारण अपनी पुत्री निर्मला का विवाह भालचन्द्र और रँगीली के पुत्र भुवन मोहन से न कर बूढ़े वकील तोताराम से कर देती है। ...Read More

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निर्मला अध्याय 3

प्रेमचन्द का यह उपन्यास ‘‘निर्मला’’ छोटा होते हुए भी उनके प्रमुख उपन्यासों में गिना जाता है। इस उपन्यास में दहेज प्रथा तथा बेमेल विवाह की समस्या उठाई है और बहुसंख्यक मध्यमवर्गीय हिन्दू समाज के जीवन का बड़ा यथार्थवादी मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है। तोताराम के तीन पुत्र पहले ही से थे, इस पर भी उनकी विलासिता किसी प्रकार कम न हुई। इतना ही नहीं, निर्मला के घर में आने पर एक नवयुवती वधू के हृदय की उमंगों का आदर और उसे अपना प्रेम देने के स्थान पर तोताराम को अपनी पत्नी और अपने बड़े लड़के मंसाराम के पारस्परिक सम्बन्ध पर विलासिताजन्य सन्देह होने लगता है ...Read More

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निर्मला अध्याय 4

प्रेमचन्द का यह उपन्यास ‘‘निर्मला’’ छोटा होते हुए भी उनके प्रमुख उपन्यासों में गिना जाता है। इस उपन्यास में दहेज प्रथा तथा बेमेल विवाह की समस्या उठाई है और बहुसंख्यक मध्यमवर्गीय हिन्दू समाज के जीवन का बड़ा यथार्थवादी मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है। अंततोगत्वा न केवल मंसाराम के प्राणंत का कारण बनता है, वरन सारे परिवार के लिए अभिशाप बन जाता है। दूसरा लड़का जियाराम भी घर के विषाक्त वातावरण के प्रभावांतर्गत कुसंग में पड़कर निर्मला के आभूषण चुराकर ले जाता है। ...Read More

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निर्मला अध्याय 5

प्रेमचन्द का यह उपन्यास ‘‘निर्मला’’ छोटा होते हुए भी उनके प्रमुख उपन्यासों में गिना जाता है। इस उपन्यास में दहेज प्रथा तथा बेमेल विवाह की समस्या उठाई है और बहुसंख्यक मध्यमवर्गीय हिन्दू समाज के जीवन का बड़ा यथार्थवादी मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है। दूसरा लड़का जियाराम भी घर के विषाक्त वातावरण के प्रभावांतर्गत कुसंग में पड़कर निर्मला के आभूषण चुराकर ले जाता है। रहस्य का उद्‌घाटन होने पर वह भी आत्महत्या कर लेता है। ...Read More

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निर्मला अध्याय 6

प्रेमचन्द का यह उपन्यास ‘‘निर्मला’’ छोटा होते हुए भी उनके प्रमुख उपन्यासों में गिना जाता है। इस उपन्यास में दहेज प्रथा तथा बेमेल विवाह की समस्या उठाई है और बहुसंख्यक मध्यमवर्गीय हिन्दू समाज के जीवन का बड़ा यथार्थवादी मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है। सबसे छोटा लड़का सियाराम विरक्त होकर साधु हो जाता है। ...Read More

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निर्मला अध्याय 7

प्रेमचन्द का यह उपन्यास ‘‘निर्मला’’ छोटा होते हुए भी उनके प्रमुख उपन्यासों में गिना जाता है। इस उपन्यास में दहेज प्रथा तथा बेमेल विवाह की समस्या उठाई है और बहुसंख्यक मध्यमवर्गीय हिन्दू समाज के जीवन का बड़ा यथार्थवादी मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है। परिवार में निर्मला की ननद रुक्मिणी उसको फूटी आँखों भी नहीं देख सकती और प्राय: निर्मला के लिए दु:ख और क्लेश का कारण बनती है। ...Read More

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निर्मला अध्याय 8

प्रेमचन्द का यह उपन्यास ‘‘निर्मला’’ छोटा होते हुए भी उनके प्रमुख उपन्यासों में गिना जाता है। इस उपन्यास में दहेज प्रथा तथा बेमेल विवाह की समस्या उठाई है और बहुसंख्यक मध्यमवर्गीय हिन्दू समाज के जीवन का बड़ा यथार्थवादी मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है। तोताराम दो पुत्रों के विरह से संतप्त होकर सियाराम को ढूँढ़ने निकल पड़ते हैं। उधर भुवन मोहन निर्मला को अपने प्रेम-पाश में फाँसने की चेष्टा करता है ...Read More

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निर्मला अध्याय 9

प्रेमचन्द का यह उपन्यास ‘‘निर्मला’’ छोटा होते हुए भी उनके प्रमुख उपन्यासों में गिना जाता है। इस उपन्यास में दहेज प्रथा तथा बेमेल विवाह की समस्या उठाई है और बहुसंख्यक मध्यमवर्गीय हिन्दू समाज के जीवन का बड़ा यथार्थवादी मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है। उधर भुवन मोहन निर्मला को अपने प्रेम-पाश में फाँसने की चेष्टा करता है और असफल होने पर आत्महत्या कर लेता है। ...Read More

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निर्मला अध्याय 10

प्रेमचन्द का यह उपन्यास ‘‘निर्मला’’ छोटा होते हुए भी उनके प्रमुख उपन्यासों में गिना जाता है। इस उपन्यास में दहेज प्रथा तथा बेमेल विवाह की समस्या उठाई है और बहुसंख्यक मध्यमवर्गीय हिन्दू समाज के जीवन का बड़ा यथार्थवादी मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है। निर्मला के जीवन में घुटन के सिवाय और कुछ नहीं रह जाता। ...Read More

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निर्मला अध्याय 11

प्रेमचन्द का यह उपन्यास ‘‘निर्मला’’ छोटा होते हुए भी उनके प्रमुख उपन्यासों में गिना जाता है। इस उपन्यास में दहेज प्रथा तथा बेमेल विवाह की समस्या उठाई है और बहुसंख्यक मध्यमवर्गीय हिन्दू समाज के जीवन का बड़ा यथार्थवादी मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है। निर्मला के जीवन में घुटन के सिवाय और कुछ नहीं रह जाता। अंत में वह मृत्यु को प्राप्त होती है। ...Read More

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निर्मला अध्याय 12

प्रेमचन्द का यह उपन्यास ‘‘निर्मला’’ छोटा होते हुए भी उनके प्रमुख उपन्यासों में गिना जाता है। इस उपन्यास में दहेज प्रथा तथा बेमेल विवाह की समस्या उठाई है और बहुसंख्यक मध्यमवर्गीय हिन्दू समाज के जीवन का बड़ा यथार्थवादी मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है। अंत में निर्मला मृत्यु को प्राप्त होती है। जिस समय उसकी चिता जलती है, तोताराम लौट आते हैं। इस प्रकार उपन्यास का अंत करूणापूर्ण है और घटना-प्रवाह में अत्यंत तीव्रता है। ...Read More