आइना सच नहीं बोलता

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“रिश्ते सीमेंट और ईंटों की मज़बूत दीवारों में क़ैद हो कर नहीं पनपते... उन्हें जीने के लिये खुली बाहों का आकाश चाहिये। क्या विवाह हो जाना ही एक स्त्री की पूर्णताहैं आइना सपने दिखाता हैं और सपने हमेशा सच नही होते आइना कहाँ सच बोलता हैं सपनों को सच बनाती हैं हिम्मत और इस कथाकड़ी की नायिका के आईने के सामने देखे सपनो का सच कितना सच्चा हैं कितना झूठा आएये पढ़ते हैं हम सब ...

Full Novel

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आइना सच नहीं बोलता

“रिश्ते सीमेंट और ईंटों की मज़बूत दीवारों में क़ैद हो कर नहीं पनपते... उन्हें जीने के लिये खुली बाहों आकाश चाहिये। क्या विवाह हो जाना ही एक स्त्री की पूर्णताहैं आइना सपने दिखाता हैं और सपने हमेशा सच नही होते आइना कहाँ सच बोलता हैं सपनों को सच बनाती हैं हिम्मत और इस कथाकड़ी की नायिका के आईने के सामने देखे सपनो का सच कितना सच्चा हैं कितना झूठा आएये पढ़ते हैं हम सब ... ...Read More

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आइना सच नही बोलता - 2

“रिश्ते सीमेंट और ईंटों की मज़बूत दीवारों में क़ैद हो कर नहीं पनपते... उन्हें जीने के लिये खुली बाहों आकाश चाहिये। विवाह दो प्राणियों का नही दो परिवारों का भी होता हैं बारात की रस्मो में दुल्हन की उहापोह दर्शाती दूसरी कड़ी कविता वर्मा जी की कलम से ...Read More

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आइना सच नही बोलता - 3

“रिश्ते सीमेंट और ईंटों की मज़बूत दीवारों में क़ैद हो कर नहीं पनपते... उन्हें जीने के लिये खुली बाहों आकाश चाहिये। मायके के आँगन से सासरे की दहलीज़ का सफ़र पढ़िए डॉ संध्या तिवारी की कलम से ...Read More

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आइना सच नही बोलता भाग चार

, तुम बहुत सुंदर हो और साथ ही समझदार भी मुझे उम्मीद है तुम माँ पिताजी और घरवालों को नही करोगी।खुद भी संयुक्त परिवार से हो तो परिवार की अहमियत तो समझती होगी।लेकिन मुझसे बहुत ज्यादा की उम्मीद न रखना क्युकी तुम्हारी और मेरी आदते बहुत अलग होंगी और एक चुम्बन उसके माथे पर टांक दिया। पर्दे के पीछे हल्के बादलों से अठखेली करता चाँद,मुस्कुराती हौले-हौले गुज़रती रात,महकते मोगरे के फूल,ख़ुशी-ख़ुशी पिघलती मोमबत्तियां साथी रहे और नंदिनी दीपक के आगोश में पिघलती चली गयी। आइना कैसी दुनिया से रूबरू करा रहा नंदिनी को आइयेपढ़े प्रियंका pandey की कलम से .... ...Read More

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आइना सच नहीं बोलता( हिंदी कथाकड़ी)

कमोबेश हर लड़की जो पराये घर जाती है वह कितनी आशंकाएं , डर और झिझक साथ लाती है। ऐसे एक सास को ही आगे बढ़ कर उसका मन समझना होता है। जो कि मेरी सास ने नहीं किया और मेरी सास की सास ने भी नहीं किया यानि आपकी दादी ने ! तो मैं यह परम्परा नहीं निभाऊंगी कि जो परायापन मुझे विरासत में मिला है वह मैं अपनी बहू को दूँ ! मैं उसे सिर्फ प्यार और इज़्ज़त ही दूंगी जो कि समय आने पास वह मुझे लौटा सके। जैसे मैं आपकी माता जी की दिल से कभी इज़्ज़त नहीं कर पाई। हाँ ! निभा गई कि वह आपकी माँ थी और मुझे आपसे बहुत ज्यादा प्यार है ! वाह ! पत्नी जी ! आपकी बात में दम है ! अब मेरी स्वर्गवासी माँ को मत जगाओ आधी रात को ! ...Read More

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आइना सच नहीं बोलता

. न्यूज़ पेपर पर निगाहें फिराते हुए अचानक वह हो.. हो...हो... कर हंस उठा. “चलो इतना तो तय हो कि मैं हाई ब्लड प्रेशर से नहीं मरने वाला.” नंदिनी ने अपनी माथे पर बल के साथ अपनी प्यार भरी नजरें दीपक पर टिका दीं. उसका करछी पकड़ा हुआ हाथ थमा रह गया, चेहरा मंद मुस्कान से दमक रहा था लेकिन इस मुस्कान में शिकायत की तीव्र आंच भी थी कि ये अशुभ बात क्यों “पेपर में लिखा है कि जिनकी पत्नियों का मानसिक स्तर पतियों से कम होता है उन्हें तनाव की परेशानी कम होती है.” यह कहते हुए हँसकर दीपक ने वह पेपर एक ओर फेंक दिया. नंदिनी को लगा जैसे उसे ही सातवें आसमान से नीचे फेंक दिया गया हो. ...Read More

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आइना सच नही बोलता - 7

हिंदी कथाकड़ी “आइना सच नहीं बोलता “ भाग- 7 लेखिका -आशा पाण्डेय सूत्रधार -नीलिमा शर्मा निविया लेखिका आशा पाण्डेय २७ फरवरी १९७४ शिक्षा:- B.A लिखने की रूचि बचपन से,शादी के बाद कुछ साल का अंतराल,फेसबुक पर कुछ सालों से फिर से लिखने की कोशिश जारी। काव्या और 100 क़दम साझा कविता संग्रह प्रकाशित, यू ट्यूब सखी टाक पे सक्रिय , पार्श्व स्वर कविता और कहानियों में दोस्तों के जिसके ज़रिये दिल को सुकून और नये श्रोताओं से जुड़ने का मौका ... Email id:- ashapandey1974@gmail.com “आइना सच नही बोलता “ कुछ ही महीनों में नंदिनी अच्छी तरह से समझने लगी ...Read More

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आइना सच नही बोलता - 8

“ कैसी लगी आपको “ “ क्या “ स्वर जैसे कहीं दूर से आया हो “ मेरी अंग्रेजी जानते इन पांच महीनो से मैंने अपनी अंग्रेजी पर खूब काम किया , ढेरों किताबे पढ़ी और खुद को आपके जोड़ का बनाने का प्रयास किया । कैसा रहा “ “क्या “ “ मेरा प्रयास “ “ रद्दियास्टिक “ दीपक चिल्लाते हुए उसके छिटक कर दूर हो गए “ क्या !!!! आप ही तो चाहते थे की ……” “ चाहता था लेकिन खुद को नीचा दिखाकर नही , क्या समझती हो खुद को , गंवार …, मैंने तो पढ़ने के लिये इजाज़त दे दी थी ना फिर वहां जाकर ये सब ड्रामा क्यों रचा पांच महीनो से मैडम अंग्रेजी पढ़ रही हैं...घर वाले और मैं समझ रहे हैं की तुम मेरे लिए …. हूँ … ...Read More

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आइना सच नहीं बोलता - ९

वो उसे सिगेरट सुलगाते देखती रही.. उसके जलते सिरे को देख कांपती रही.. जोर से बंद किया दरवाज़ा तक उसके चेहरे पर किसी थप्पड़ सा बजता रहा. लगातार ३ सिगरेट पीने के बाद भी दीपक का मन अशांत ही लग रहा था खुद से सवाल जवाब करता हुआ दीपक ने वापस आते ही सवाल जड़ दिया. ‘क्या ज़रुरत थी अभी इस आफ़त की तुम संभाल नहीं सकती थीं. गवारों की तरह सारी हरकतें. मेरे सोशल सर्किल में मज़ाक बन जाऊँगा, पर तुम्हें क्या तुम्हें तो पोतड़ें धोने हैं. हाउ द हेल विल आय मैनेज ’ अवाक रह गयी थी नंदिनी. “ अबो्र्ट कराओ इसे !!! मैं नही अफ्फोर्ड कर सकता अभी तुम्हारा बच्चा “ ...Read More

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आइना सच नही बोलता - १0

जानती हूँ बेटा, पर सारे कसूर औरत के ही मत्थे मढे जाऐं । मर्द सब कुछ करके भी । चाचाजी तो अब नही है । ये तो आप लोग जो उन्हें सम्मान नहीं दे रहे । समाज की यही रीत है बेटा । औरत को सुहागन का, दूधो नहाओ- पूतो फलो का आशीष देते हैं सब । कोई ये भी कहे कि तेरी उम्र भी बढे। तू खुश रहे । औरत मर जाए तो आदमी विधुर । पर किस कारज में उसे पीछे रखा जाता । सब आदमी औरत के अंतर की कहानी है । जिन्दगी ऐसी ही चलती आई हैं ...Read More

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आइना सच नही बोलता - 11

अमिता ने भी बाल धूप में सफ़ेद नहीं किये थे! वे सब समझती थीं इसीलिए धीरे धीरे दीपक की के बारे में नंदिनी को बताती रहतीं! मसलन दीपक को ये कतई पसंद नहीं कि कोई उसकी निजी वस्तुओं जैसे पर्स, लैपटॉप आदि को छुए! ये भी कि खाने में दीपक क्या पसंद करता है और क्या नहीं! नंदिनी ने तो गांठ बांध लिया! वह हर बात बड़े ध्यान से सुनती और अमिता से सब बनाना सीख रही थी! दीपक के मन में प्रवेश का रास्ता अगर ऐसे मिलता है तो ऐसे ही सही! रही नंदिनी की पसंद नापसंद तो वह तो इतनी सहज और सरल थी कि दीपक की छोटी छोटी खुशियों में अपनी ख़ुशी ढूंढ ही लेती थी! फिर इन दिनों पुराना दीपक कहीं खो सा गया था! कई दिन हुए वह नंदिनी पर चिल्लाया नहीं, गुस्सा नहीं हुआ, उसका यह बदला रूप नंदिनी की जिन्दगी में खुशियाँ ले आया था! यूँ भी सब उसकी पसंद के अनुरूप ही तो चल रहा था! कभी कभी नंदिनी को ख्याल आता कि ये बदलाव अगर स्थायी न हुआ, अगर माँ के लौटने के बाद वह फिर से बदल गया तो...! इस अनामंत्रित ख्याल मात्र से नंदिनी सहम जाती थी! अब तक वह समझ चुकी थी कि दीपक को जिद या टकराव नहीं केवल प्रेम से जीता जा सकता था! और नंदिनी ने ठान लिया कि वह दीपक के मन में घर बनाकर रहेगी! ...Read More

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आइना सच नहीं बोलता - 12

पिताजी की खराब तबियत का सुन माँ उदास रहने लगी थी , लेकिन नंदनी को इसका एहसास न हो प्रयत्न भी कर रही थी। एक अनचाही चिंता उन्हें वापिस जाने से रोक रही थी. कैसे इस बच्ची को अकेले छोड़ दे हालाँकि नंदनी ने कोई शिकायत कभी नहीं की थी पर उसका दुख इतना पारदर्शी था कि बार बार उनका दिल काँप जाता। उन्हे लगता कि शायद इस बच्ची का जीवन खराब करने मे उनकी भी एक भूमिका तो है ही ! ...Read More

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आइना सच नही बोलता - 13

नन्दिनी एक झटके से उठी बच्चे के रोने की आवाज़ सुन!! इधर उधर देखा , एकाएक स्वप्न का स्मरण आया. उफ़्फ़ कितना भयावह था , उसका सर बोझिल हुआ जा रहा था , इधर किसी सहयात्री का बच्चा लगातार रो रहा था , पिता के भरसक चुप कराने के प्रयत्न के बावजूद , शायद बहुत भूख लगी थी , माँ जल्दी -जल्दी दूध बनाने में जुटी थी , अब सब्र करना बच्चों का स्वभाव तो नहीं!स्वप्न का स्मरण कर उसकी आँखें भर आयीं ...Read More

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आइना सच नहीं बोलता - 14

सुबह का सूरज कुछ अलग सी आभा लिए उसके कमरे की खिड़की से अन्दर झांक रहा था . उसके के सीले कोने भी सूरज के साथ माँ भाभी के प्यार की ऊष्मा पाकर अब प्रफुल्लित महसूस कर रहे थे . उदासी की एक महक अब उसमे स्फूर्ति सी जगा रही थी उसे सिर्फ प्यार याद रखना हैं कोई नाराजगी या गुस्से के पल नही, कह कर उसने मन को समझाया और धीरे से पलंग के नीचे रखी अपनी स्लीपर खिसकाई . ...Read More

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आइना सच नही बोलता - 15

नंदिनी माँ की बातों के अर्थ खोजने में कुछ पल तक जड़ सी बैठी रह गई ।माँ की आरती घंटी बजने का स्वर आने लगा तो नंदिनी भी उठ खड़ी हुई ।ख़ुद से एक वादा करते हुए .. ना तो दीपक को ऐसी बेड़ियाँ पहनाने देगी न ही अपने बच्चे को इस परंपरा को बढ़ाने देगी कभी । लेकिन सोच हैं न ,क्या मालूम पूरी होगी भी या नही . भाविष्य के गर्भ में क्या छुपा हैं कोई नही जानता . हवाई किले तो हर कोई बना सकता हैं पूरा करने के लिय जिगरा चाहिए होता हैं . सपने तो उसने भी देखे थे ना आगे पढने के , क्या दिखा पायी हिम्मत कि मुझे अभी विवाह नही करना ......... लडकियां कब अपने लिय जीती हैं उनके हिस्से आती है दो घरो की इज्ज़त , तू तो समझदार हैं कहकर मायके और ससुराल दोनों में रस्मो रिवाजों की बेदी बाँध दी जाती हैं और लड़की उसे ही किस्मत मान कर जीने लगती हैं अपनी जिन्दगी ...Read More

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आइना सच नही बोलता - 16

माँ की बात ने नंदिनी के हौसलों को बुझा दिया। वह अपने कमरे में आकर लेट गई और सोचने पापा भाई और दीपक तो रेखा के उस ओर खड़े हैं जिनकी सोच से उसे लड़ना है उसे बदलना है लेकिन अभी तो उसे उन लोगों की सोच भी बदलना है जो उसके साथ उसके पाले में खड़े हैं। वह हैरान थी कि माँ जिसे बचपन से पिता के शासन तले घुटते देखा है वह अपने स्वतंत्र अस्तित्व का एक कोना तलाशने को भी तैयार नहीं थी। ना ही खुद की जिंदगी की परछाई तले अपनी बेटी और बहू की जिंदगी के स्याह उदास पहलू को देखना चाहती पर है ना महसूस करना। माँ ऐसा कैसे कर सकती है क्या इतने सालों के दुःख और दमन ने उसके भीतर की स्त्री और माँ को भी मार दिया है जिससे अब वह अपनी बेटी और बहू के लिए तटस्थ हो गई है यथास्थिति से समझौता कर लिया है और अब किसी तरह के मानसिक संघर्ष में ना खुद शामिल होना चाहती है और ना ही उसे और भाभी को शामिल होते देखना चाहती हैं।क्या जीवन में शांति का मतलब अपनी इच्छाओं और आकाँक्षाओं को मार देना ही है ...Read More

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आइना सच नही बोलता - 17

प्रकृति ने केवल स्त्री को ही इस आशीष से नवाज़ा है कि वह एक नए जीवन की जीवनदायिनी होती माँ होती है! प्रसव पीड़ा से उबर कर स्त्री एक नया जन्म पाती है! न केवल शिशु अपितु माँ का भी एक नया जन्म होता है! एक स्त्री प्रसव पीड़ा से गुज़रकर सबसे पहले अपने शिशु का मुख देखती है, फिर किसे अपने समीप देखना चाहती है दुनिया भर की भीड़ में किसका चेहरा देखना चाहती है किसकी आँखों में ख़ुशी के आंसू और चमक एक साथ देखना चाहती है किसके चेहरे पर गर्व, स्नेह और चिंता के मिले-जुले भाव पढ़ना चाहती है अपने माथे पर किसका स्पर्श पाना चाहती है जो उसे छूकर धीमे से उसके चेहरे के करीब आकर पूछे, तुम ठीक तो हो न इन सभी प्रश्नों का जवाब एक ही है! वह पुरुष जिसे अपना सर्वस्व सौंपकर उसने मातृत्व पाया है! वही जो उसकी देह और मन दोनों का स्वामी है! जिसने उसके मन को जीतकर देह पर अधिकार पाया है! ...Read More

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आइना सच नही बोलता - 18

नंदिनी के मायके वाले भी उसके सुख के दृश्य संजो रात को ही अपने घर लौट गये थे! होते-होते घर में अब घरवाले और नंदिनी की दोनों ननदें ही बचीं थी! अचानक पापा के कमरे से जोर जोर से आवाजें आने लगीं! नंदिनी ने अनुमान लगाया कि दीपक अपने पिता से जाने की इजाज़त मांग रहा था और उसके रवैये को लेकर दोनों में बहस हो रही थी! नंदिनी से रहा न गया और उसके कदम स्वतः ही आवाज़ की दिशा में बढ़ते चले गए! “ये तो हद ही हो गई दीपक! आखिर कब तक झूठ बोल-बोलकर बहू को दिलासा दें हम! तुमने शादी को ही नहीं हमें भी मज़ाक बनाकर रख दिया है बहू और उसके घरवालों की नजरों में! तुम.....” “पापा, आप लोग सिर्फ अपने बारे में सोचते हो! किसी ने मेरे बारे में नहीं सोचा! मेरी ख़ुशी, मेरे सपने, मेरी पसंद-नापसंद, मेरे कमिटमेंट की आपकी नजरों में कोई कीमत नहीं! मैंने हमेशा कहा पर आपने माना ही कब है! क्या आप और माँ नहीं जानते थे मेरी मज़बूरी पर नहीं आपको तो केवल अपनी सोच, अपना फैसला थोपने की आदत है! आप......” ...Read More

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आइना सच नहीं बोलता - 19

नंदिनी की चुप को सौ बरस हो गये हैं. ये वो चुप है जो कुछ घंटों में सौ बरस लेती है. ये लंबाई में नहीं गहराई में नापी जाती है. दीपक की माँ अमिता कमरे के दरवाज़े तक आ कर लौट-लौट जाती हैं. लज्जित हैं, भीतर नहीं आ पाती अपनी पुत्रवधू तक. नन्हा दिवित उसके पास सोया ही सोया था, नंदिनी को इसका भी होश नहीं. इससे तो थोड़ा रो लेती, ताने उलाहने देती.. सवाल पूछती.. पर ये चुप बड़ी भारी है.. ये चुप उस पत्थर की तरह है जिसे अमिता अपने गले में बँधा महसूस कर रही हैं. जिसके भार से वो लज्जा और ग्लानि के गहरे सागर में डूबती जा रही हैं. ...Read More

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आइना _सच_नहीं_बोलता

माँ और सासू माँ के बीच बैठी नंदिनी सोचती रही थी इस भरे पूरे संसार में अपना मोल. यदि ना होता तो शायद उसके ससुराल में भी उसके लिए कोई जगह ना होती. वो सिर्फ़ एक अदद वारिस की माँ है. उसकी इस भरी-पूरी दुनिया में बस यही पहचान है. अपमान और कुंठा से उसका मन रुंध गया. अनायास ही वह सिल्विया से अपना मेल बिठाने लगी. सिल्विया अपने प्रेयस की प्रिया, उसकी संतान की माँ होने के अलावा एक पढ़ी-लिखी नौकरियाफ़्ता स्वतंत्र वजूद की मलिका भी थी. तो क्या दीपक को यही बात उसके पास वापस खींच ले गयी थी उसने तो बचपन से सर झुका कर बस समर्पण करना ही सीखा था. उससे तो यही कहा गया था कि उसके सुख के द्वार इसी रास्ते पड़ेंगे. फिर कब कहाँ क्या ग़लत हो गया ...Read More

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# आइना सच नही बोलता - 21

नंदिनीको अचरज हो रहा था। उसके पिता ने माँ को कभी इस तरह बाहर की बातों में शामिल न ।वे तो पिता के लिए बस घर की देहरी के अंदर की सेविका थीं । क्या सोच रही हो, नंदिनीबिटिया नंदिनी मायके की सोच में लिपटी थी । ससुर के इसतरह पूछने पर ख़याल का एक टुकड़ा उमड़ आया कि इसी पिता के बेटे नेकभी उसके दर्द की एक चिलक को सहलाने की कोशिश भी न की । और झरझर अश्रुओंका झरना टूट पड़ा उसकी आँखों से । कितने ही ग़मज़दा पल पलकों के नीचे छुपा लो, मन की तहपर नेह के दो बोल उनखुश्क पलों को उघाड़ ही देते हैं । और फिर वह जमीं रेशमी हो जाती हैअपनेपन की मिटटी से । आप लड़िये न चुनाव,पापाजी । लो अब तो आपकीबिटिया ने भी अपनीमंजूरी दे दी । अमिता भी नंदिनी के आंसुओं से भीग गई थी । तीनों के चेहरों पर तनावरहित खिलखिलाहट थी । ठीक है बिटिया जैसी तुम्हारी मर्जी । तुमने तो हमें हर तरह जीत लिया। जहाँ जीतना था वहां से तो बुरी तरह हार बैठा हूँ। पुन: बेटे की ...Read More

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आइना सच नही बोलता - 22

समरप्रताप ने अपने कार्यालय में प्रवेश किया ही था कि फ़ोन तेज घंटी से घनघना उठा स्मित में उन्होंने रिसीवर कान पर लगाया ही था कि एकाएक उनकी भंगिमा पर क्रोध का आवरण चढ़ गया तेज आवाज कार्यालय से आई सभी चौंक पड़े ‘हैलो, कौन हो तुम क्या चाहते हो ’ ‘चुपचाप इस इलेक्शन से हट जाओ, नहीं तो……… ‘नहीं तो क्या क्या कर लोगे और हो कौन तुम ’ ‘मेरी बात ध्यान से सुनो बहुत चर्चे हैं तुम्हारे शायद जीत भी जाओ किन्तु जीत की खबर कहीं ऊपर जाके ही सुनाई दे … इस बात को समझ लो, समरप्रताप !’ रेगिस्तान की सनसनाती लू के थपेड़े सी गर्म हवा समरप्रताप के कानों को दग्ध करने लगी ‘क्क्क्…क्या बक रहे हो क्या कर लोगे तुम मार ही दोगे न … मार दो मैं नहीं हटने वाला अब ’ ‘तो फ़िर तैयार रहना ऊपर की सभा के लिए ’ फ़ोन कट ...Read More

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आइना सच नहीं बोलता

दीपक का घर तक पहुंचना मुश्किल हो रहा था। विश्वास नहीं हो रहा था कि पिता जी नहीं रहे। याद आ रहा था कि जब वह घर से निकला था तो उन्होंने कहा था कि वह उनकी लाश के ऊपर से ही जायेगा। और यह भी कि अगर वो चला गया तो फिर उनका मुख न देख पायेगा ,अब लौटा तो मेरे मरे मुहँ पर ही लौटेगा ! ओह्ह ! पिता जी ! यह आपने क्या कह दिया था जो सच हो गया ! गले तक रुलाई भरी पड़ी थी। घर पहुँच कर, कार से उतरा नहीं गया। किसी ने सहारा दे कर उतारा तो दिल की गहराइयों से रुदन फट पड़ा। पिता जी के पैरों के पास गिर के रो पड़ा। यह देख अमिता और नीतू -मीतू भी उसके पास पहुँच गई। चारों ही आपस में गले लग कर लिपट कर रो पड़े। सबका साँझा दुःख एक साथ करुण -क्रंदन में बदल गया था। हर कोई रो रहा था। किसी के पास चुप होने की जैसे कोई वजह ही नहीं थी। समरप्रताप सिंह चल पड़े थे अपनी अंतिम यात्रा पर ! किसी की कोई भी करुण पुकार उनको सुनाई नहीं दे रही थी। चूड़ियाँ तोड़ती अमिता थी या करुण क्रंदन करती बेटियाँ या मूक हो आंसूं बहती नंदिनी और रमा किसी की आवाज़ आज समर प्रताप तक नही पहुँच पा रही थी ...Read More

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आइना सच नहीं बोलता - 24

अमिता सकते में थी। क्या हुआ माँ इतने हैरान-परेशान क्यों देख रहे तो मुझे तूने यह क्या पहना है क्या ! क्या पहना है मैंने साड़ी तो रोज़ पहनती हूँ , इसमें हैरानी वाली क्या बात है यह हलके रंग की साड़ी किसलिए पहनी है, माथे पर सिंदूर भी नहीं , अरे बेटा तूँ सुहागन है ! अच्छा माँ ! सच में सुहागन तो हूँ ! कहते हुए अमिता को बैठाते हुए खुद भी पास बैठ गई। माँ , सुहागन के रंग तो सुहाग की उपस्तिथि से ही तो........... बात बीच में ही रह गई और फिर बात करने का समय नहीं मिल पाया क्योंकि अब मिलने-जुलने वालों का ताँता लग गया था। मिलने आने वालों ने, विशेषकर परिवार की महिलाओं ने तो खास तौर पर , नंदिनी की वेशभूषा पर जरूर ध्यान दिया लेकिन कुछ कह नहीं पाए। नंदिनी की माँ ने यह देखा तो रो ही पड़ी। बेटी का घर बसाया था, वह भी उजड़ गया। अब उसकी इच्छा थी कि वे नंदिनी को साथ ले जाएँ। ...Read More

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आइना सच नहीं बोलता

नंदिनी का दिल भी दीपक की कडुवाहट भरी यादों के साथ यही खेल रहा था। नंदिनी का आधा दिल रहा था कि छोड़ दे उसे, जिसने तुझे छोड़ दिया। जिसने तुम्हारे अहसासों की कोई कद्र नहीं की। उसके साथ की कामना भी तुम्हारे स्वाभिमान पर चोट है। यहाँ आकर उसका दूसरा दिल दबी आवाज में कहने लगा कि लेकिन है तो वो तुम्हारा पति ही। शादी तो जन्मों का बंधन होता है उसने रिश्ता तोड़ दिया लेकिन तुम कैसे तोड़ सकती हो, औरत तो रिश्ते जोड़ने का काम करती हैं तोड़ने का नहीं। पापा भी दीपक के ऊपर बुजुर्गों के दबाव से इस रिश्ते को बनाये रखने पर मजबूर करना चाहते हैं,लेकिन वह क्या चाहती है ...Read More

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आइना सच नही बोलता - २६

कार के साथ चाँद भी सफ़र कर रहा था उस चाँद को एकटक निहारती नंदिनी उसे अपनी बनाई बीरबहूटी लाल मखमली साड़ी का घूंघट ओढ़ा कर देख रही थी कि घूंघट में चाँद कैसा लगेगा. सितारों को वह उस साड़ी में टांक रही थी. चांदनी के धागों से आसमान के रेशमी दुपट्टे पर बेल-बूटे उकेर रही थी, शटल के, क्रोशिया के नमूने बुन रही थी. आसमान के काले-नीले पन्ने पर ड्रेस डिजाईन कर रही थी. वो वकील बनना चाहती थी लेकिन बहस करनी उसको नही आती थी अपने हक के लिय लड़ना उसको नही आता जो दुसरो के हक की लडाई लडती . ईश्वर ही नही चाहता था वो वकील बने तो ईश्वर ही शायद यह चाहता था कि वो अपना शौंक पूरा करे ..जो कभी उसका मनपसंद काम था किताबे पढने के बाद लेकिन यह दीपक का उसको धोखे से ब्याहना भी ईश्वर की मर्ज़ी थी ...सोचे थी जो सोचो में से सोच निकाल रही थी ..... कार तेज गति से घर की तरफ से चली जा रही थी और नंदिनी का मन .......................... ...Read More

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आइना सच नहीं बोलता

शुरूआती झिझक के बाद अब महिलाएं काम के साथ हंसी मजाक मौज मस्ती में भी बहुत समय जाया कर थीं। उनमे कई उम्र में नंदिनी से काफी बड़ी थीं और गाँव के रिश्ते से जिठानी ननद या सास लगती थीं इसलिए नंदिनी उनसे कुछ कह नहीं पाती थी। उसने झिझकते हुए अमिता से यह बात कही और समय से काम पूरा ना होने पर आगे काम ना मिलने का अपना डर भी बताया। यह तो ठीक बात नहीं है अमिता ने चिंतित हो कर कहा अब काम का बंटवारा कर दो उसके हिसाब से सबकी बैठक व्यवस्था भी अलग अलग करो। सबको सुबह ही बता देंगे कि उन्हें दिन भर में कितना काम करना है खाने पीने की कितनी देर की छुट्टी मिलेगी। तू चिंता मत कर अब मैं सब पर नज़र रखूँगी। जिस काम के पैसे मिले हैं उस काम की क़द्र तो करना पड़ेगी ना। ...Read More

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आइना सच नही बोलता - २८

क्यों वह अभी तक दीपक की आस मन से लगाए है वह तो शायद उसे कभी याद नहीं करता होगा फिर वह क्यों नहीं उसे अपने दिमाग से निकाल देती दीपक अगर होता भी तो उसकी इस स्थिति पर उसे अपमानित करने का मौका नहीं चूकता। वह तो उसमे बची खुशी हिम्मत को भी तोड़ देता। वही तो वह हमेशा करता रहा। शायद इसलिए ताकि जब वह उसे छोड़ कर जाये नंदिनी प्रतिवाद ना कर सके। अपने अधिकार के लिए लड़ ना सके। ओह्ह तो इसलिए वह हमेशा उसे झिड़कता रहा। संसार की हर वह स्त्री जिसे नीचा दिखाया जाता है अपमानित किया जाता है वह उसका मनोबल तोड़ने के लिए होता है ताकि वह अपने अधिकारों के लिए खड़ी ना हो सके। मर्दों को उनकी गलतियाँ ना बता सके उनके सामने बोल ना सके। रात के अँधेरे में खुद की असहायता ने उसे एक बहुत बड़े सच की रौशनी दिखाई। उसे दीपक का वह सौम्य और स्नेहिल रूप भी याद आया और कटु रूप भी। ...Read More

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आइना सच नहीं बोलता - २९

सीढ़ी उतर कर जब नीचे आई तो नंदिनी और अमिता मेज पर खाना लगा रही थी नंदिनी मंद मुस्कुरा रही थी विरह को उससे बेहतर कौन समझ सकता था भाई को मनाकर बुलाने के लिय उसकी सहायता अमिता ने की थी साक्षी और नंदिनी के बेटे रमा के साथ कमरे में खेल रहे थे पिता को अचानक सामने देख साक्षी का बेटा पहले तो कुछ शरमाया फिर कूद कर पाSSSS पाSSSSSSSS कह गोद में चला गया दिवित पा .....पा कह कर मामा की तरफ देखता रहा नंदिनी और अमिता की आँखे भर आई और अमिता ने दिवित को उठाकर अपने कमरे में लेजाकर समर प्रताप की फोटो के सामने खड़ा कर दिया और दिवित को दिखा कर बोली ............... पा SSSS पा साक्षी अगली सुबह ससुराल लौट गयी जाते जाते अमिता ने उसको अपनी बेटियों की तरह नेग शगुन कपडे मिठाई के साथ विदा किया साक्षी जाते जाते एप्लिक के लिय आई सब साड़ियाँ और सामान भी साथ ले गयी कि वहां से बनाकर भेज दूंगी ...Read More

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आइना सच नही बोलता - भाग ३०

तीसरी बारी घंटी बजने पर नंदिनी ने फ़ोन उठाया और साक्षी ने उसे संबोधित करते हुए मजाकिया लहजे में कहा “ नंदिनी जी ! क्या आप जानती हैं आप को एक प्यारा सा समाचार मिलने वाला हैं जिसके लिए आप हमसे नेग भी मांग सकती हैं “ “क्या हुआ भाभी पहेलियाँ ना बुझाओ.. क्या अमर भैया को नया ठेका मिल गया या उन्होंने अपनी मनपसंद सूमो खरीद ली “ व्यस्त नंदिनी ने थोड़ी रुखी आवाज़ में भाभी से कहा लेकिन आज तो भाभी बहुत अच्छे मूड में थी “नही !!आप बूझिये तो ननद रानी ! अगर आपने सही बूझ लिया तो आपको सोने के कंगन मिलेंगे “ अब नंदिनी भी सोच में पड़ गयी ऐसा क्या हुआ होगा जो इतना महँगा तोहफा ......उसे अचानक याद आया जब भतीजा आर्यवीर जन्मा था वो अविवाहित थी तब उसे भैया ने सोने की अँगूठी नेग में दिलाई थी उसने जब जडाऊ कंगन दिलाने को कहा था तो अमर भैया के साथ माँ और पिता जी ने यह कहकर चुप करा दिया था कि दूसरें भतीजे के होने पर कंगन दिलाएंगे तब तक सम्हालने लायक तो जाओ इतने बड़े गहने …. “तो क्या मैं बुआ बनने वाली हूँ फिर से !!!” ...Read More

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आइना सच नहीं बोलता भाग ३१

साड़ी पहन कर पल्ला संवारते नंदिनी ने खुद को आईने में देखा। आत्मविश्वास से लबरेज जीवन से संतुष्ट सफल जो आज सैंकड़ों महिलाओं के जीवन को दिशा दे सकने में समर्थ है। रमा चाची सुनीता साक्षी के अक्स आईने में उभर आये जिन्होंने अपने जीवन को अपने दम पर सार्थक कर लिया। एक दिन इसी आइने में खुद को देख उसने नयी जिन्दगी के सपने बुने थे और फिर एक बार इसी आईने के सामने हताश हो गई थी वह। एक दिन इसी ने उसका उपहास उडाया था और आज यही आइना देखो कैसे भौंचक सा उसे देख रहा है। आज लालरंग की लिपस्टिक बिंदी चूड़ियाँ एक अलग ही अर्थ लिए हुए थी लाल लिपस्टिक लगा कर लट संवारते मुस्कुराते हुए नंदिनी ने कहा “आइने तुम सच नहीं बोलते। देखो मैने तुम्हें झूठा साबित कर दिया मैंने दिखा दिया कि जो तुम दिखाते हो वह सब सही नहींहोता होता वह है जो इंसान चाहता है।“ आइना शर्मिंदा था गोया उसे असली जिन्दगी के झूठे सपने दिखाकर कि विवाह के बाद लाल जैसा चटक रंग हमेशा खुशियाँ ही लाता हैं आज वही आइना उसे कह रहा था आईने के सामने देखे सपनो को पूरा करने के लिए जीवटता की जरुरत होती है कोरी कल्पनाओं की नही ............... . ...Read More