यह कहानी एक साधु है। जिसकी एक गीरोह होती है। वह अपने काम कि वजह से राजश्थान के चीरोली गाँव पहुचता है। और वहा उसे अपने पीछले जनम की प्रेमीका मीलती है। फिर उन दोनो के बीच प्रेम के लिए संघर्ष चलता रहता है।
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फरेब
यह कहानी एक साधु है। जिसकी एक गीरोह होती है। वह अपने काम कि वजह से राजश्थान के चीरोली पहुचता है। और वहा उसे अपने पीछले जनम की प्रेमीका मीलती है। फिर उन दोनो के बीच प्रेम के लिए संघर्ष चलता रहता है। ...Read More
एक अपरीचीत मीलन
यह कहानी फरेब का दुसरा पार्ट है। इसमे साधु को एक अनजान लडकी मीलती है जो उससे बताती हे वह उसकी प्रेमीका है। फिर आगे.. ...Read More
फरेब - 3
यह फरेब कहानी का तीसरा भाग है। यह हमे कहानी मे आगे की और ले जाएगा। बिलकुल पीछले समय ...Read More
फरेब - 4
वृदा अपने कमरे मे बिस्तर पर लेट कुछ खयालो मे खोई हुई थी की तभी, अचानक उसके कानो मे आवाज पडी। कुतुहल वश वृदाने अपने खयालो को वही पलंग पर पटक कर। अपने कमरे से बाहर जाने का कष्ट उठाया। वैसे मनमे तो यही खयाल था की जो भी ये शोर कर रहा है, उसकी क्लास ले ली जाए। मगर जब बाहर नीकली तो देखा। वह आवाज उसके भाई राजवीरभा के कमरे से आ रही थी। वृदाको आश्चर्य हुआ क्योकी उसका भाई राजवीर और भाभी लता दौनो इतने प्यारे थे कि उनके बीच मनमुटाव होही नही ...Read More
फरेब - 5
फरेब-५, इससे आगे के भाग आपको अच्छे लगे इस बातकी मुझे बेहद खुशी और आशा करता हु की, यह भी आपको अच्छा लगेगा॥ ...Read More
फरेब - 6
यह फरेब का ६ भाग है, मुझे आशा है आपको अच्छा लगेगा, कृपया अपने महत्वपुर्ण रैटींग दे की आपको कैसी लगी. ...Read More
फरेब - 7
समय लगभग ६:३० शामके, हो रहा है।इसलिए सुरज की रोशनी हल्की लग रही है। और बदन को चुभ नहीं थीं।एक छोटा-सा झरना जंगल की बहार की तरफ बेह रहा है। उसके कलकल बहने की आवाज से शांत जंगल में मधुर संगीत का अनुभव होता है। उस झरने के किनारे लगा, एक बबुल का पैड झुककर ठिक उसके ऊपर आ बैठा है। और उस पेड़ पर दो नौजवान पश्चिम की ओर मुख करके बैठे हैं। उन दोनों ने साऊथ स्टाईल में लुंगी बांध रखी है। जीससे उनके घुटने साफ दिख रहे हैं। और उनके पैर पानी में डुब रहे हैं। ...Read More
फरेब - 9
आज वृंदा की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। वह उछलती कूदती हुई, आश्रम से बहार निकल के सीधा की ओर चली जा रही है। होठों पे एक हसीन गाना गुनगुना रहा है। सुर बैशक अच्छा नहीं है, पर भाव पुरी तरह से भरपूर है। और बोल है, हे जी, कैशरीया बालमजी आवो नी, पधारो मारो घेर। तभी सुखी धरती पर, उड़ती डमरी धूल के बीच उछलते कदम एकाएक रुके। सामने देखा, तो खुदीराम खड़ा है। एकदम मारवाड़ी आदमी, आज उसकी बड़ी मूंछे किसी डाकू की मूंछ की भाती लंबी और डरावनी लग रही थी। जीनपे ...Read More
फरेब - १०
बस में बैठा एक व्यक्ति अपनी कापी में कुछ शहर के नाम टीक कर रहा था। अजमेर, भोपाल, रायपुर, गोआ, चेन्नई, पणजी। तभी एक आवाज ने उसे रोका, कहा की टीकट काटु ? भाई। हां। वो कंडक्टर था। उसने कहा, सौराष्ट्र। कंडक्टर, हां सौराष्ट्र। मगर उसमें कहा ? राज.. राजकुट। राजकुट नहीं भाई, राजकोट। वह व्यक्ति, हां हां। राजकोट। यही नाम था। कंडक्टर, लगता है गुजरात पहली बार जा रहे हो। जी हां। कंडक्टर, ये लीजीये ५१० रुपए आपकी टीकीट। व्यक्ति, अपनी जेब में से पैसे निकालते हुए। वैसे कितना वक्त लगेगा। ये राज..कोट पहुंचने में ? कंडक्टर, बस ...Read More
फरेब - 11
जगह: कस्तूरबा आश्रम वक्त: सुबह की आरती। आरती खत्म होते ही। बा- બધી છોકરીઓ ધ્યાનથી સાંભળો (फिर एक लड़के तरफ इशारा करके) એ છોકરા તું આગળ આવ. જો છોકરીઓ, આ રીષભ છે. મારો પરીચીત. આજથી આપણે ત્યાં ડ્રાઈવર નું કામ સંભાળશે અને સાથે બીજા કામ પણ. આનાથી કોઈને પણ પ્રોબ્લેમ હોય. તે મને મળે. (तभी एक लड़की बोल उठी) પણ બા, આ તો પેલો લંફ્ફટ છે. બા- હા, હવે બોલી તુ. હું કવ, હજુ સુધી શ્યામલી બોલી કમ ના. હા તો બકુડી, આ રીષભ મારો જાણિતો છે. મારા દિકરાની જેમ. અને સ્વભાવે થોડોક ઘેલીયો પણ છે. માટે જ્યારે એને ...Read More