ये कहानी दो लेखकों की मोहब्बत पर आधारित है, जिसे लगभग 7 पार्ट में प्रकाशित किया जाएगा, लगातार अपडेट रहने के लिए फॉलो करें और अपने प्यार और दुआओं से नवाज़े, तो आइए शुरू करते हैं,हैलो सर"फेसबुक पर उसका मैसेज रिक्वेस्ट पड़ा हुआ था। मैने भी हाय में जवाब दिया और पूछा आप कौन ? उसने कहा, मैं आपकी मातृभार्ती फॉलोवर हुँ। मैं आपको एक साल से तलाश कर रही हूँ।आपकी चारो कहानियां मैने पढ़ रखी है।और आप बहुत अच्छा लिखते हैं। लेकिन मुझे आपसे कुछ पूछना था। किसी नए लेखक के लिए तारीफ अमृत समान होती है। दिल मे बहुत खुशी हुई।लेकिन
Full Novel
उधड़े ज़ख़्म - 1
ये कहानी दो लेखकों की मोहब्बत पर आधारित है, जिसे लगभग 7 पार्ट में प्रकाशित किया जाएगा, लगातार अपडेट के लिए फॉलो करें और अपने प्यार और दुआओं से नवाज़े, तो आइए शुरू करते हैं,हैलो सर"फेसबुक पर उसका मैसेज रिक्वेस्ट पड़ा हुआ था। मैने भी हाय में जवाब दिया और पूछा आप कौन ? उसने कहा, मैं आपकी मातृभार्ती फॉलोवर हुँ। मैं आपको एक साल से तलाश कर रही हूँ।आपकी चारो कहानियां मैने पढ़ रखी है।और आप बहुत अच्छा लिखते हैं। लेकिन मुझे आपसे कुछ पूछना था। किसी नए लेखक के लिए तारीफ अमृत समान होती है। दिल मे बहुत खुशी हुई।लेकिन ...Read More
उधड़े ज़ख़्म - 2
अगले दिन सुबह मेसेंजर परसुम्मी- असस्लामु अलैकुम लेखक साहब।मैं- व अलैकुम अस सलाम,खेरयत हैं शायरा मोहतरमा ?सुम्मी- जी अल्लाह शुक्र,आप बताएं ?मैं- जी मे भी बेहतर,वैसे आप किस सिटी से हैं ? सुम्मी- हम आप के शहर मुरादाबाद से ही हैं। मैं- अरे वाह,कमाल की बात है,एक शहर में रहते हैं और मुलाक़ात मातृभारती के ज़रिए हुई।सुम्मी- जी उसका क्रेडिट भी हमें दीजिये मातृभारती को नही,हम मेसेज नही करते तो कैसे मिलते?मैं- हाहाहा जी जी आप भी सही हैं,हम शायरों से बहस नही करते। सुम्मी- क्यों? मैं- चुभते हुए तीरों से अल्फाज़ो को फूलों में लपेट कर मारते हैं शायर,इसलिए हम शायरों से ...Read More
उधड़े ज़ख़्म - 3
अब्बा ने आगे कहा ये सब फ़ैसले ख़ुदा के हैं, हमें और आपको ये चाहिए कि हम भी इसे बच्चों की ख़ुशी में खुश रहै।अब्बा के तफसील से बोतल में उतारने के बाद भला क्या सूरत बचती थी कि सुम्मी के वालिद अब्बा की बात न मानते,अल्लाह अल्लाह कर के बमुश्किल हम दोनों का रिश्ता तय हो गया।ये खुशी की खबर सो खुशियों की खबर से बढ़ कर थी, कुछ दिनों बाद हमारी वालिदा मोहतरमा जाकर सुम्मी को अपना आयी,और उनकी वालिदा मोहतरमा ने भी हमें अपना लिया, क्योंकि हमसे बड़े हमारे दो बहन भाई और भी थे,जिस वजह ...Read More
उधड़े ज़ख़्म - 4
वंडर लैंड की तरफ जाते हुए रास्ते में मेने अपनी बाइक के कानो को मरोड़ना शुरू कर दिया,जिसकी वजह वो चल कम रही थी और आवाज़ ज़्यादा करने लगी।उन्होंने पूछा क्या हुआ अचानक से बाइक इतनी आवाज़ क्यों कर रही है, मेंने कहा इस बाइक की बड़ी तमन्ना थी कि इसके ऊपर इसके मालिक के साथ साथ एक खूबसूरत लड़की भी बैठे,अब जब तुम बैठ गयी हो तो ये जशन मना रही है,उन्होंने कहा बस बस लेखक साहब इतनी बाते न बनाया करो,आप क्या हमें टोस्ट समझते हो? बटरिंग कि भी हद होती है।मैंने कहा में कहा लेखक हूं ...Read More
उधड़े ज़ख़्म - 5
पापा ने हॉल को बहुत शानदार तरीके से सजवाया था,क्योंकि मंगनी मेरी थी तो मेरा लेट पहुँचना लाज़मी था,जब पहुँचा तो पहुँचते ही मेरी सबको सलाम करने की ड्यूटी लग गयी।इतने में हमारी सुसराल से मेहमान भी आने शुरू हो गए,सबसे आगे ससुर साहब थे, उनको बड़े अदब से सलाम करने के बाद में उनसे इधर उधर की बातें करने लगा,मंगनी में सुम्मी नही आयी थी,क्योंकि उनके घर का ये रिवाज था कि मंगनी में लड़की लड़का आमने सामने नही आते,सिर्फ अंगूठियों का अदल बदल हो गया था।इस मंगनी में पापा की पूरी टीम भी आई हुई थी,पापा अपनी ...Read More
उधड़े ज़ख्म - 6
जब मुझे पता लगा सुम्मी जल गई है, में शौक़ हो गया,मेरे मुँह से फिर अल्फ़ाज़ ही न निकले,फिर ने कहना शुरू करा,खुद पर आग लगा के ये दूसरी मंजिल में चुप चाप बैठी रही,न चीखी न चिल्लाई,न जाने कैसा सदमा लगा था इसे के इसका आधा जिस्म जल गया लेकिन ये ना चीखी,मोहल्ले वालों ने जब धुंआ निकलते देखा घर से तो कुंडी बजायी,तब पता लगा के इसने आग लगा ली है, गुलवेज़ (सुम्मी का छोटा भाई) ने कॉल कर के तेरे पापा को बताया तो वो मुझे ले के भागे भागे इसके घर गए,वहाँ जाकर देखा तो ...Read More
उधड़े ज़ख्म - 7
अंदर सुम्मी के पास उसकी और मेरी अम्मी बैठी हुई थी,अम्मी ने मेरे पास आकर कहा इसे बहुत तेज़ लग रही है,गीली पट्टी इसके होंटो पर लगा रही हुँ लेकिन उस से प्यास थोड़ी भुझ जायगी,बेटे तू इसे बातों में लगा,ताकि ये कुछ देर के लिए तो अपनी प्यास भूल जाये,ड्रिप का थोड़ा और पानी इसके जिस्म में जायगा तो शायद प्यास की शिद्दत थोड़ी कम हो जाये इसकी।मैंने अम्मी से कहा आप सुम्मी की अम्मी को बाहर ले जाओ,इसके होंटो पर पट्टी में लगा दूंगा।ग्लास में छोटा सा सूती गीला कपड़ा रखा हुआ था,मेने उस कपड़े ...Read More
उधड़े ज़ख़्म - 8
अचानक सुम्मी की सांसे तेज़ होने लगी और वो कांपने लगी,घबरा कर मेरी आँख खुली मेने देखा वो परेशानी मुब्तिला है,मेंने फ़ौरन नर्स को आवाज़ लगाई,नर्स और डॉक्टर दोनों भागे भागे आये,ब्लड प्रेशर चेक किया वो हाई हो रहा था,हार्ट बीट बढ़ रही थी,सिनियर डॉक्टर ने अपनी पूरी जी जान लगा दी लेकिन सुम्मी को बचा न सके, उसे हार्ट अटैक आया और वो दुनिया के सारे बन्धनों से आज़ाद हो गई,पहले उसके पैर हिले,फिर हाथ और फिर आंखे पथरा गयी,में उसे खड़ा बस देखता रहा।किस से कहूं के एक सरापा वफ़ा मुझेतनहाईयों में छोड़ कर तन्हा चली गयी।।ये ...Read More
उधड़े ज़ख्म - अंतिम पार्ट
आख़री ख़तअस स्लामु अलैकुम मेरे प्यारे बुद्धू सड़क छाप लेखक,मेरे प्यारे जुनैद तुम तो मेरे ऊपर कहानी न पाये,लेकिन मेरा ये आखरी ख़त सिर्फ तुम्हारे लिए है,मुझे नही पता ये खत कोन कोन पढ़ेगा,पर मे चाहती हूं मेरी आखरी बातें तुम तक ज़रूर पहुँचे, जुनैद में जानती हूं तुम्हारी बहुत सारी ख़्वाहिशात है,तुम खुले मिजाज़ के साथ साथ पुराने ख्यालात के भी हमेशा से रहे हो, तुमने मुझसे बहुत सी मर्तबा बहुत सी ख्वाहिशों का ज़िक्र किया,जिसमें से एक ख्वाहिश ये भी थी कि में तुम्हें ख़त लिखूं, तुम्हारी किस की ख्वाहिश तो में चाहते हुए भी शर्म की ...Read More