ये कहानी भारत के सबसे बड़े और दर्दनाक हादसे - भोपाल गैस कांड को केंद्रित करके लिखी गयी है। इस कहानी को मैने अपने पति को. तेजेश्वर जी के द्वारा प्रेरित हो कर शुरू की है। गैस त्रासदी का वह रात कितना भयानक और दर्दनाक रहा तेजेश्वर जी के द्वारा आंखों देखी हाल का वर्णन उनके जुबान सुन कर मेरा मन द्रवित हो उठा। कहते हुए उनके चेहरे पर दर्द का लहर घना उठा था और सुनते हुए हमारा शरीर काँप उठा था। एक के बाद एक दर्दनाक तस्वीरें मेरे आंखों के सामने सिनेमा रोल की तरह बदलते गये। दिल को दहलाने देने वाली उस रात की सुबह कइयों ने देख भी नही पाए। एक पूरा गांव कुछ ही मिन्टों में समसान की ढेर में तब्दील हो चुका था। चीख पुकार अपनों को ढूंढते रिश्तेदार परिवार चारों और लाशों की ढेर। शायद ही देश ऐसे कोई घटना पहले देखी हो। उन में से मैने कुछ काल्पनिक चरित्रों के द्वारा पीड़ितों के मानसिक अवस्था को दर्शाने की कोशिश की है।
Full Novel
सैलाब - 1
शतायु पलंग से उठ कर बैठा। नींद न आने के कारण वैसे भी परेशान था, ऊपर से गरमी। कुछ पहले ही बिजली गुल हो गई थी। आधी रात को बिजली चले जाना वहां कोई नयी बात नहीं थी। शहर से दूर स्थित, उसके गाँव में अक्सर दिन में आधे समय इलेक्ट्रिसिटी का गुल रहना आम सी बात है। बिजली गुल होते ही मच्छरों का राज शुरू हो जाता था और उनका काटना भी सहना पड़ता था। ...Read More
सैलाब - 2
अंधेरी कोठरी में उन काली रातों की यादों को भुलाने का प्रयत्न कर रहा था। जब भी आँखें बंद सोने की कोशिश करता, कोई साया सपने में आ कर मन को विचलित कर देता था। उसने आकाश की ओर देखा, आकाश में सूरज के उदय होने में बहुत समय था। वह हाथ को चेहरे पर रखकर सोने की कोशिश करने लगा लेकिन उसे नींद भला कैसे आती। एक के बाद एक विचार उसके दिमाग में जैसे घर कर रहे थे। चेहरे पर से हाथ हटा कर देखा, कमरे में अब भी अँधेरा राज कर रहा था। एक छोटा सा बल्ब दूसरे कमरे में जल रहा था शायद इसलिए हल्की सी रोशनी से उसका कमरा धुंधला सा नज़र आ रहा था। ...Read More
सैलाब - 3
शतायु ने स्टैंड से कपड़े निकाल कर पहने। पांच बज चुके थे। कुछ देर में बेबे भी उठ जाएंगी। खोल कर बाहर देखा। रास्ता सुनसान था। लोग अपने अपने घरों में अभी भी सोये हुए थे। जानु चाची उठकर आंगन धो रही थी। वैसे तो जानु चाची का पूरा नाम जाह्नवी है, लेकिन जाह्नवी को सब प्यार से जानु चाची बुलाते हैं। वे खुद भी बहुत सरल और सहज इंसान हैं। कोई भी बहुत आसानी से उनके साथ घुलमिल जाता है। खास करके बच्चे बहुत पसंद करते हैं जानु चाची को इसलिए धीरे धीरे उनका नाम जानु चाची पड़ गया। ...Read More
सैलाब - 4
शतायु के वहाँ से जाते ही पवित्रा ने पावनी से आराम करने को कहा, पावनी यात्रा से थक होगी कुछ समय विश्राम कर ले शाम को बात करेंगे। कहकर पवित्रा वहाँ से जाने लगी तो पावनी ने पीछे से पुकारा, दीदी। हाँ बोलो पावनी। कह कर वापस आ कर पास बैठ गयी पवित्रा। दीदी, मुझे माफ़ करना मैं इस बार ज्यादा दिन रह नहीं पाऊँगी संकोच से कहा। १५-२० दिन की छुट्टी मिली होगी न स्कूल से? डिलीवरी होनेतक रुकोगी न पावनी ? ...Read More
सैलाब - 5
पावनी के पैर लड़खड़ा गये। जहाँ खड़ी थी वहीँ वैसे ही बैठ गयी जैसे उसके पैर की शक्ति किसीने ली हो। उसके सिर पर जैसे पहाड़ गिर पड़ा हो। क्या.. क्या हुआ? मुझे पूरी बात बताओ। आप सब क्या कह रहे हैं मुझे समझ में नहीं आ रहा है। मैंने रात को सोने से पहले ही दीदी से बात करी वहाँ सब बिल्कुल ठीक है फिर तुम क्या कह रही हो? पावनी के हाथ पैर काँप रहे थे। उसकी जुबान लड़खड़ा रही थी। उस ने अपना फ़ोन उठाकर घर पर फोन लगाया। घंटी बजती रही पर किसीने फोन नहीं उठाया। ...Read More
सैलाब - 6
आप का बच्चा तड़प रहा था। उसे मैने एम्बुलेंस में अस्पताल भेज दिया। चलिए आप को भी छोड़ देते पावनी और राहुल ने उसे संभाल कर रास्ते पर खड़ी दूसरी एम्बुलेंस में बिठाया। आप चिंता न करें उसे अब तक अस्पताल में भर्ती कर दिया होगा। आप चलिए। कह कर राहुल ने पावनी की ओर देखा दोनों वहाँ से निकले । ...Read More
सैलाब - 7
ग्यारह बज कर तीस मिनट हो चुके थे। सूरज मुंडेर पर आ खड़ा था। उस की प्रखर किरणें सिर वार करने लगी थीं। दोपहर होने को थी लेकिन शतायु वापस घर नहीं लौटा था। शतायु के अभी तक घर न पहुँचने से बेबे परेशान थी। उम्र का असर उनके शरीर पर साफ साफ नज़र आ रहा था। बेबे लकड़ी के सहारे चलती है। एक हाथ में लकड़ी पकड़ कर दूसरे हाथ को कमर पर रख कर हिलती-डुलती घर के दस बार चक्कर काट चुकी है। रसोई में खाने के व्यंजन आदि तैयार कर रखे हैं। सुबह से शतायु का कोई पता नहीं। बेबे परेशान हो कर बार बार अंदर बाहर चक्कर लगाने लगी। ...Read More
सैलाब - 8
पथरीला रास्ता पार करते हुए रमेश उस के करीब जा पहुंचा, शतायु बिना पलक झपकाए उस टैंक को देख था जिस पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था टैंक नंम्बर 601। उस टैंक को चारों तरफ जंजीरों से जकड़ा गया था जैसे कोई कैदी जेल की काल कोठरी में सज़ा काट रहा हो। शतायु के बस में होता तो उस राक्षसी टैंक को एक बार में निगल जाता या जला कर ख़ाक कर देता। ...Read More
सैलाब - 9
कुछ साल बीत गये और पावनी की शादी रामू से हो गयी। पावनी एक संयुक्त परिवार की बहू बन जब तक नौकरी करती थी तब तक शतायु को पढ़ाने-लिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी मगर जैसे ही उसे नौकरी छोड़नी पड़ी शतायु की पढ़ाई के लिए उसे रामु के सामने हाथ फ़ैलाने पड़े यह बात शतायु को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी। अपनी खुद्दारी के कारण शतायु को रामू से फीस भरवाना नागवार था। पावनी फिर भी अपनी थी जिसे वह माँ जैसा प्यार करता था। इसलिए पावनी का रामु से पैसा लेना शतायु को अच्छा नहीं लगता था। ...Read More
सैलाब - 10
संयुक्त परिवार में बड़ों की बातें छोटों को बहुत प्रभावित करती है। हर वक्त बच्चों के सामने माधवी के सुनते सुनते बच्चे भी कुछ इस तरह की बातें कह देते जिसे पावनी के दिल पर गहरी चोट पहुँचती थी। अपने अस्तित्व और आत्म सम्मान को बचाए रखना उसके लिए दुर्भर हो गया था। कभी माधवी का हुक्म तो कभी राम की आवाज़ फिर कभी बच्चों की आवाज़ कान में गूंज उठती थी। ...Read More
सैलाब - 11
फिर पुराने कुछ अखबार निकाल कर उनमें कुछ ढूंढने लगी। एक एक कर अखबार निकालती पढ़ती और कोने में देती पर एक भी ऐसा अखबार नहीं मिला कि पावनी के कुछ काम आ सके। हर अखबार में जॉब के कॉलम सब छाँटने लगी, बहुत सारी नौकरियाँ हैं, पर जब उम्र की सीमा पर नजर पड़ती तब मन उदास हो जाता है। सिर्फ फ्रेशर की माँग हैं। एक लंबी सी साँस छोड़ते हुए पावनी ने उन सारे अखबारों को सजाकर अपने स्थान पर रख दिया। समय पांच बज चुके हैं, कुछ देर बाद राम बाबू घर लौट आएंगे। उस से पहले घर ठीक करना जरूरी है। घर को साफ़ कर मुँह धोकर तैयार हो गयी पावनी, ताकि राम बाबू उसे देख कर जरा सा मुस्कुरा तो दे। ...Read More
सैलाब - 12
कितने मन से सारी तैयारी कर रखी थी उसने। वह एक दम ही हताश हो गई। क्या क्या सोच था, खैर अगर ऑफिस में छुट्टी नहीं मिली तो राम भला क्या कर सकते हैं। मन को समझा कर राम के नहाने के लिए गरम पानी बाल्टी में भर कर, चाय बनाने किचन की ओर बढ़ गई। राम ने बाथ रूम से बाहर निकल कर देखा पावनी चुप चाप चाय बना रही थी। उसने चुपके से जाकर गीले बालों को पावनी के उपर झटकाया फिर पीछे से उसकी कमर कस कर पकड ली, वह पावनी की मायूसी समझ गया था। ...Read More
सैलाब - 13
पावनी को शादी के पहले के दिन याद आये। भोपाल में दीदी पवित्रा की निगरानी में बीए. बीएड करने बाद वह भोपाल से कुछ दूर एक छोटे से गांव में टीचर की पोस्ट पर काम करती थी। दीदी के घर से स्कूल काफ़ी दूर होने से स्कूल के नज़दीक विमेंस होस्टल में एक कमरा लेकर रहने लगी। पावनी के साथ सोनम भी उसी होस्टल में रहती थी। सोनम इलाहाबाद की रहने वाली थी और पावनी मूल रूप से हैदराबाद की। उन्हें स्कूल जाने के लिए होस्टल से कुछ दूर बस स्टेंड से बस पकड़ कर जाना पड़ता था। वे दोनों कभी कभी साथ तो कभी अलग अलग जाती थी। स्कूल के दो शिफ्ट की चलते कभी दोनों का समय अलग रहता था। ...Read More
सैलाब - 14
आज से तेरा नाम बिट्टू है, ठीक है। कह कर मुस्कुराते हुए उसे एक टॉवल पर रख कर काम में व्यस्त हो गयी। वह पैर पर चोट लगने से उठ नहीं पा रहा था। पावनी खुद नहा धो कर रात के लिए खाने बनाने की तैयारी में लग गयी। रात को सारे दरवाज़े अच्छे से बंद कर के सो गयी। नींद इतनी गहरी थी की राम का फ़ोन बजते-बजते बंद हो गया मगर पावनी की नींद नहीं खुली। ...Read More
सैलाब - 15
ठीक उसी वक्त विनिता और पावनी वहाँ पहुँची। क्या हो रहा है? पावनी ने कड़ी आवाज़ से कुछ नहीं आंटी बस यूँ ही.. क्या यूँ ही? तुम बोलो क्या हो रहा है, यहाँ? पावनी ने बिंदु से पूछा। वह वह.. बिंदु के कुछ कहने से पहले ही उनमें से एक लड़का बोलने लगा, कुछ नहीं आंटी कुछ दिन से दिख नहीं रही थी तो बस पूछ रहे थे क्यों नहीं आ रही थी? बस उतना ही और कुछ नहीं. ...Read More
सैलाब - 16
देखो बिंदु आज कल लड़कियों को अपनी सुरक्षा खुद करना जरूरी हो गया है। वरना हर वक्त माँ, पिताजी किसी और का साथ रहना मुनासिब नहीं है। आप को आगे बढ़ना है, लोगों के कंधे से कंधा मिला कर चलना है। अभी से खुद को तैयार करो। हमेशा समस्या का समाधान खुद से शुरू करना पड़ता है। इसलिए कभी पीछे मत हटना आगे बढ़े चलो, देखो दुनिया तुम्हारे पीछे कैसे आएगी। पावनी ने बिन्दु को चुपचाप देखकर पूछा, समझ रही हो न में क्या कह रही हूँ ? ...Read More
सैलाब - 17
कॉलिंग बेल की आवाज से किचन में व्यस्त पावनी ने किचन से बाहर आ कर दरवाजा खोला। सामने बिंदु उसकी ३ सहेलियाँ खड़ी थी। पावनी आश्चर्य चकित हो गई। अचानक बिंदु और उसके सहेलियों को द्वार पर देख कर 'व्हाट ए सरप्राइज' कहते हुए अंदर बुलाया। वे सब अंदर सोफे पर बैठ गईं। बिंदु ने एक एक कर सबका परिचय कराया। आँटी, ये सुजाता, परिणीती और ये स्नेहल, मेरी बेस्ट फ्रेंड्स हैं। बहुत अच्छा, बोलो कैसे आना हुआ? जरूर कोई बात होगी? कहो क्या बात है? पावनी ने प्रश्न किया । ...Read More
सैलाब - 18
पावनी किचन के काम में व्यस्त थी,आखिर संक्रांति की तैयारियां भी करनी थी। तब घर की घंटी बज उठी। ने अपना काम छोड़ कर दरवाजा खोला। सामने ४० साल की एक औरत खड़ी थी। उस औरत ने अपना परिचय देते हुए कहा, मेरा नाम रेवती है, मैं एक टीचर हूँ। हाँ बताइए मुझसे कोई काम था? क्या मैं अंदर आ सकती हूँ? बैठ कर बात करेंगे। अच्छा, आइए बैठ कर बात करते हैं. पावनी ने रेवती को अंदर बुलाया। ...Read More
सैलाब - 19
उस दिन शाम को सेजल बिंदु से मिलने गई। जब वह बिंदु के घर पहुँची तब विनिता सूखे कपड़े से निकाल रही थी। हाय आंटी। कैसी हैं आप? आवाज़ सुनकर विनीता ने पीछे मुड़ कर देखा। उसके सामने सेजल खड़ी थी। अरे सेजल तुम कब आई? कैसी हो? आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ कर अंदर बुलाया। हाँ आंटी ठीक हूँ। आप कैसी है? बिलकुल बढ़िया हूँ। आओ अंदर। तुम्हारी मम्मी तो हमेशा तुम्हारी बहुत फिक्र करती रहती है। ...Read More
सैलाब - 20
शतायु सालों से भोपाल शहर से बाहर नहीं गया। मगर 'इस बार उसे जाना ही होगा।' मन ही मन ने सोचा। पावनी मौसी ने इस बार कसम जो दे रखी है कि इस संक्रांति को उसे मुंबई आना ही है। शतायु भी क्या कर सकता था जब तक उसने हाँ नहीं कहा तब तक पावनी ने खाना पीना छोड़ रखा था। ...Read More
सैलाब - 21
दूसरे दिन उन्होंने सूर्योदय से पहले उठ कर आँगन में भोगी जलाई। यह आंध्र प्रदेश का एक विशेष पर्व इस पर्व को तीन दिन तक मनाया जाता है। घर के आँगन में रंग बिरंगी रंगोली बना कर बीच में गोबर(गाय के गोबर) के छोटे छोटे गोले बना कर रखते हैं। उस गोबर के गोले को फूल पत्तियों से सजाकर गांव की कन्याएँ 'गोब्बीळ आम्मा गोब्बीळू' कहते हुए रंगोली के चारों तरफ नृत्य करती हैं। झूला झूल कर अपनी खुशियों को जाहिर करती हैं। ...Read More
सैलाब - 22
भीमाशंकर जी के दर्शन करके वे वापस लौट आए। शतायु के लिए यह यात्रा बहुत ही रोमांचक और सुखप्रद वह अपनी परेशानी भूलकर एक अलग ही दुनिया में सैर कर रहा था। उसके लिए तो जैसे यह एक नयी दुनिया थी। हँसी खुशी से भरी एक चमकती दुनिया। उसे आश्चर्य हो रहा था की लोग इस तरह खुशी और आनंद से जीवन बसर कर सकते हैं। उसे बहुत खुशी हुई कि देर से ही सही वह जाग उठा। ...Read More
सैलाब - 23
उन दोनों के बढ़ता हुआ मेलजोल विनिता और गौरव को परेशान करने लगा। आखिर दोनों के उम्र और तजुर्बे बहुत फरक है। बिन्दु को उसके उम्र से कई साल बड़े शतायु से प्यार हो जाये तो? शतायु ने जिंदगी की खुशियों को कबूल करना छोड़ ही दिया था। वह जैसे अभी अभी बिंदु की आँखों से दुनिया देख रहा था और जीना सीख रहा था । ...Read More
सैलाब - 24
नारियल के लंबे लंबे वृक्षों के बीच शहर के साफ़ सुथरे घर के आंगन और आँगन में आंनद उल्लास खेलते बच्चों को देख पावनी एक शांत और सुरक्षित वातावरण को महसूस कर रही थी। मुम्बई के भागते दौड़ते शहर से पृथक पंछियों की चहचहाट के बीच बिताए ये कुछ पल उनके लिए अविस्मरणीय बन गये थे। वहां के केले के चिप्स, खाने में केरला राइस के साथ पुट्टु और नारियल का उपयोग पावनी को बहुत पसंद आया। पुट्टु पीसेहुये नारियल और चावल से बनाया जाता है। यहां के क्रिश्चियन्स पुट्टु को बीफ के साथ परोसना पसंद करते हैं। ...Read More
सैलाब - 25
मुश्किल से शबनम की जिंदगी पटरी पर आने ही वाली थी किस्मत ने उसे फिर से जोरदार झटका दे दिल का दौरा पड़ने से उसके पिता का देहांत हो गया। घर की और उसके छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी भी उसीके कंधे आन पड़ी। शतायु और पावनी से जितना हो सकता था मदद करते रहे। शतायु दिन में एक बार तो जरूर ही शबनम का हालचाल पूछने चला जाता था। उसकी सारी मुश्किलें शतायु अपने काँधे पर ले कर चलता था। शबनम को पुलिस स्टेशन और कोर्ट कचेरी ले जाने उसके साथ हर पल रहता था लेकिन शबनम किसी भी हालत में शतायु को अपने पास आने नहीं देती थी। उसके साथ हो चुके हादसे को शबनम भूल नहीं पा रही थी। इसलिए वह पुरुष को अपने आस पास बरदाश्त नहीं कर सकती थी। ...Read More
सैलाब - 26
लड़की है न मौसी। कहकर सिर खुजाते हुए दांत से जीभ काट कर फर्श की ओर देखने लगा। मतलब तूने पहले से ही लड़की देख रखी है? शैतान कहीं का फिर बताया क्यों नहीं? उसके पास सोफ़े पर बैठते हुए कहा पावनी ने । नहीं मौसी ऐसी कोई बात नहीं। मेरी नज़र में कोई है मगर अगर .. अगर मगर क्या कर रहा है ठीक से बता। .... आप हाँ कहो तो ही, नहीं तो शादी नहीं करूँगा। अच्छा ऐसी बात है, यानि मुझे अब तक अँधेरे में रखा था। बोल कौन है वो लड़की? ...Read More
सैलाब - 27
कुछ क्षण चुप रहने के बाद पावनी ने पूछ ही लिया, तुम शादी क्यों नहीं कर लेती? सहारा मिल जाएगा और तुम्हारे भाई बहनों की जिम्मेदारी उठाने में तुम्हें मदद मिलेगी। उसने विस्मय से पावनी की ओर देखा और कहा, शादी और मैं ? हाँ क्यों नहीं? इसमें विस्मित होने वाली बात क्या है ? शबनम हल्के से मुस्कुराते हुए बोली, मुझसे कौन करेगा शादी? और करेगा भी क्यों ? सिर्फ अपनी जिम्मेदारी उसके कंधे पर ड़ालने के अलावा क्या दे सकती हूँ ? न घर, न दहेज, न ही जवानी कुछ भी तो नहीं है मेरे पास। सब गंवा चुकी हूँ। सिर्फ शरीर नाम की लाश के अलावा क्या है मेरे पास? ...Read More
सैलाब - 28
अपना दर्द किसको भला कह सकती है। कुछ दिन तक जो हमदर्द बन कर साथ खड़े थे लेकिन कोर्ट कार्यवाही में वे भी साथ छोड़ दिये। कोई कितने दिनों तक साथ चलता सब एक एक कर अपने कामों में व्यस्त हो गए। बिंदु कई नए मामलों में व्यस्त हो गई। कभी समय मिलता तो शबनम को मिलने आ जाती थी पर अब उसके पास भी वक्त कहाँ होता था। पावनी भी अपनी घर गृहस्थी में जुट गई। ...Read More
सैलाब - 29 - Last Part
एक दिन पावनी ने शतायु से पूछा, अब कहो शादी के लिए क्या निर्णय लिया ? मौसी जो कहे जैसा कहे वैसा ही होगा। पावनी ने आखिरी बार उससे पूछा, फिर उससे पूछा? क्या कहा उसने? जाने दो ना मौसी, भूल जाओ उन सारी बातों को हम कुछ सोचते हैं पर यह जरुरी नहीं कि वह हमें मिल ही जाए। वह अपनी जिंदगी में खुश है फिर किसीकी मजबूरी का फायदा उठाना भी सही नहीं न। इसलिए उसे भूल जाना ही सही है। सारी बातों को भूलने प्रयास करते हुए शतायु ने कहा। ...Read More