यह वसुधा न तो कभी किसी की थी न ही यह किसी की है ।सब तो हैं बस ...
वह एक थकी हुई सी शाम थी,हर तरफ खामोशी फैली हुई थी।लग रहा था जैसे कोई तूफान गुजरा था।जिसके ...
शब्दों की सार्थकता तो तब ही है जब वह अपने उद्देश्य को प्राप्त कर ले , समान्यतः मौलिक रूप ...
किसी ने क्या खूब कहा है।जन्म हुआ तो मैं रोया और लोग हँसे, मौत आयी तो सब रोये मैं ...
आज बहुत दिनों के बात एक सुहानी शाम को कुछ फुरसत के पल मिले थे।ऐसा लग रहा था जैसे ...
अक्सर हम चाह कर भी जो कह नही पाते उन अनकहे शब्दों मैं सबके सामने लाने की कोशिश कर ...
अनहोनी की निशानी होती है कि हमें अंदाजा नहीं होता,और जो हो जाता फिर उस से उबरने के कोई ...