उस समय की ही नही आज भी मेरे शहर के अपनत्व की मिठास लिए खाने की बात ही ...
उन दिनो स्कूल से आकर जल्दी से होम वर्क ख़त्म करने की जल्दी रहती थी ,क्योंकि शाम होते ही ...
जब माँ दोपहर में बाहर नहीं निकलने देती थी तो गिट्टे और नक्की बजाने का सिलसिला चलता । पड़ोस ...
ठीक है वो वक्त लौटाया तो नही जा सकता पर यादों में जिया तो जा सकता है ।शायद आज ...
मुझे तो आज भी ऐसा लगता है मानो कल की ही बात है जब सुरनगरी के अपने इस नए ...
बारह पन्ने अतीत की शृंखला के बचपन इंसान की ज़िंदगी का सबसे सुनहरा दौर ...
और वो लौट ही आया हवा की गति से भी तेज दौड़ती मोटर साइकिल पर पीछे बैठी आस्था ...
पुनर्जन्म गुरुद्वारे की ठंडी ठंडी सीढ़ियों पर कदम रखती हरदीप आँखो ...
लाकेट सामने पड़ी किताबों के ढेर में आँखे गड़ाए ,अपने गले ...