अच्छा हुआ ! मुझे किसी ने कोई पुरूस्कार से नहीं नवाजा .... पुरूस्कार मिलता तो उस कहावत माफिक चोट लगती ,”बेटा न हो तो एक दुःख ,हो के मर जाए तो सौ दुख,और हो के निक्कमा,नकारा निकल जाए तो दुखों का अंबार नहीं”