किस दिन मैं छुपा करता हूँ मैं सपनों का ताना बाना, यूँ अकेले बुना करता हूँ मंदिर का करता सजदा, मस्जिद भी पूजा करता हूँ मिलती फुरसत, मुझको जिस दिन, दुनिया के कोलाहल से राम रहीम की बस्ती, अलगू जुम्मन ढूँढा करता हूँ