चंद्रगुप्त - तृतिय - अंक - 23 रावी तट के उत्सव शिविर का एक पथ पर्वतेश्वर अकेले टहलते हुए - पर्वतेश्वर और चाणक्य के बीच संवाद होना शुरू हुए... पढ़िए, चंद्रगुप्त - तृतिय - अंक - 23.