चंद्रगुप्त - द्वितीय अंक - 21

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चंद्रगुप्त - द्वितीय अंक - 21 मालव दुर्ग का भीतरी भाग एक शून्य परकोटा - अलका यवन सैनिको को घायल करती है और साथ में सिंहरण वहां पहुँच जाता है - यवन सेना का प्रस्थान होता है और चन्द्रगुप्त का जयघोष होता है... पढ़िए, चंद्रगुप्त - तृतिय - अंक - 21