ख्वाबो के पैरहन - 2

(18)
  • 6.6k
  • 3.2k

उदास ताहिरा अँधेरे में भी पेड़ के नीचे बैठी रही बीच-बीच में आँखें भर आतीं फैयाज़ का मुस्कुराता चेहरा आँखों के समक्ष डोल जाता उसने कभी भी फैयाज़ को निराश नहीं देखा था जब भी फैयाज़ से मिली थी यही पाया था कि फैयाज़ में गहरी महत्वाकांक्षा है बावजूद सारी ज़िम्मेदारियों के वह घबराया नहीं है वह कहता था बहन की जिम्मेदारी पूरी करने के बाद शादी करेगा, और एक सुंदर गृहस्थी की कल्पना से ताहिरा आँखें मूँद लेती थी हमउम्र युवकों से फैयाज़ एकदम अलग था