जनवादी हिंदी लेखन के मुख्य हस्ताक्षर श्री श्रीनाथ जी हिंदी लेखन में १९७६ से २०१५ तक सक्रिय रहे। जोंक, मुक्तिपर्व एवं उपसंहार उनके प्रकशित कहानी संग्रह में से हैं । विद्याआरंभ उनकी अप्रकाशित कहानियों का संकलन , उनको मेरी श्रद्धांजलि है ।