समसमायिक व्यंग्य

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अपने समय को उकेरते तीखे व्यंग्य.निर्मल गुप्त की सिद्धहस्त कलम का कमाल.कविता की भाषा और व्यंग्य के प्रोज का अद्भुत समावेश.वसंत के अनेक रंगों में से एक रंग राजनीति का भी है.