नृत्य किया जा रहा था, और रोमियो उसी स्थान की ओर देख रहा था जहां वह सुंदर स्त्री खड़ी थी, अपने मुखौटे की आड़ में रोमियो को थोड़ी आज़ादी प्राप्त हुई, उसने उसी आज़ादी का लाभ लेते हुए उस सुंदर स्त्री के हाथों को बड़े ही विनम्र भाव से अपने अपने हाथों में लेने का साहस किया, जैसे की वह एक शर्मिला तीर्थयात्री हो जो किसी पवित्र तीर्थस्थान को छू रहा है, उसका मानना था कि अगर उसके छूने से वह उस तीर्थस्थान को अपवित्र कर रहा हो तो प्रायश्चित के लिए वह उन्हें चूमेगा “अच्छा तीर्थ” उस महिलाने उत्तर दिया..