चंद्रगुप्त - प्रथम अंक - 8

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चंद्रगुप्त - प्रथम अंक - 8 (गांधार नरेश का प्रकोष्ठ) चिन्तायुक्त राजा बेटी अलका के पास जाता है - अधिक वेग से आम्भिक प्रवेश करता है - राजकुमारी बंदिनी बने उसके बजाय कोई और यवन का चुनाव करने के लिए आम्भिक को कहा गया - अंत में आम्भिक को जो ठीक लगे वह करने के लिए राजा कहता है ... पढ़िए, चंद्रगुप्त - प्रथम अंक - 8.