अवनि कमरे की खिड़की पर बैठी अपनी ही सोचो में गुम थी, शुरू दिसम्बर की ठण्ड उसके जिस्म में घुस रही थी पर उसे कुछ एहसास नही था.. बस बाहर खड़ी कार और सड़कों पर जमी बर्फ को एक टुक घूर रही थी, बर्फ के छोटे छोटे तिनके उसके जिस्म में लग कर गिर रहे थे, कुछ बर्फ खिड़की की चोखट पर जमा हो गयी थी... Khushi Saifi