आइना सच नही बोलता - 18

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नंदिनी के मायके वाले भी उसके सुख के दृश्य संजो रात को ही अपने घर लौट गये थे! शाम होते-होते घर में अब घरवाले और नंदिनी की दोनों ननदें ही बचीं थी! अचानक पापा के कमरे से जोर जोर से आवाजें आने लगीं! नंदिनी ने अनुमान लगाया कि दीपक अपने पिता से जाने की इजाज़त मांग रहा था और उसके रवैये को लेकर दोनों में बहस हो रही थी! नंदिनी से रहा न गया और उसके कदम स्वतः ही आवाज़ की दिशा में बढ़ते चले गए! “ये तो हद ही हो गई दीपक! आखिर कब तक झूठ बोल-बोलकर बहू को दिलासा दें हम! तुमने शादी को ही नहीं हमें भी मज़ाक बनाकर रख दिया है बहू और उसके घरवालों की नजरों में! तुम.....” “पापा, आप लोग सिर्फ अपने बारे में सोचते हो! किसी ने मेरे बारे में नहीं सोचा! मेरी ख़ुशी, मेरे सपने, मेरी पसंद-नापसंद, मेरे कमिटमेंट की आपकी नजरों में कोई कीमत नहीं! मैंने हमेशा कहा पर आपने माना ही कब है! क्या आप और माँ नहीं जानते थे मेरी मज़बूरी पर नहीं आपको तो केवल अपनी सोच, अपना फैसला थोपने की आदत है! आप......”