रात भर बर्फ गिरती रही।ठीक से सो भी नही पाई उर्मि।सुबह सुबह थोडी झपकी लगी थी कि डोर बेल ने जगा दिया।दरवाज़ा खोलते ही वह चौंक पडी थी-“ अरे तेजा ,इतनी बर्फ में ?” ”बर्फ तो इस मौसम में गिरना ही है जी,आप जल्दी से दूध की केतली खाली कर दो,और भी जगह जाना है।“ तेजा के जाते ही उसने दरवाजे के बाहर देखा।गिरते बर्फ में दूर तक बस सफेदी ही सफेदी नजर आती थी। ऐसी ही बेशुमार बर्फ.....बल्कि इससे कई गुना ज्यादा बर्फबारी हो रही होगी जब प्रशांत एवरेस्ट की चोटियों पर थे।