भारत की रणनितिक चुनौतियां ब्रिक्स सम्मेलन में भारत की तमाम कोशिशों के बावजूद आतंकवाद के मुद्दे पर चीन की असहमति और रूस की अनिच्छा एक बड़ा परिवर्तन का संकेत है। भारत द्वारा बेहद कड़े और स्पष्ट निर्णय लेने का सयम आ गया है। पिछले दस वर्ष भारतीय सामरिक स्थिति (स्ट्रेटेजिक पोजीशन) के लिए बेहद रोचक, चुनौतीपूर्ण और संभावनाओं से भरे रहे हैं। ऐसा आंतरिक और बाहरी दोनों स्तरों पर हुआ है। एक ओर जहां भारत ने दुनियाभर में आइटी (एवं अन्य) से जुड़ी क्षमताओं का लोहा मनवा कर सैकड़ों अरब डॉलर का व्यापार किया है और ब्रांड इंडिया स्थापित की है, वहीं अनेक क्षेत्रों में हमारी औद्योगिक शक्ति उस गति से नहीं बढ़ पायी है, जितना बढ़ती जनसंख्या के उत्पादक नियोजन के लिए जरूरी है। गंभीर चुनौतियों के बावजूद भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था ने बार-बार देश को आगे बढ़ने में, विरोधाभासी स्वरों को सुर देने में और गरीबों को हाशिये पर