छग्गन को फिर भी कुछ समझ में नहीं आया। वह आगे बढ़ने को हुआ तो झूमरी ने उसे एक अच्छा सा कंद खाने को दिया, और इसी बहाने अपने शरीर से उसके शरीर को चिपकाने का प्रयास किया। छग्गन इन सब से बेपरवाह होकर वहीं रूक कर कंद खाने लगा।