प्रतिज्ञा अध्याय 8

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प्रतिज्ञा उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट न हो। ..। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है। एक कार्यक्रम में कमलाप्रसाद के भेजे गये गुणडे लोग अमृतराय पर आक्रमण करते है। पर प्रेमा बीच में आकर उन्हें रोकती है। उसके भाषण से चन्दा - वसूली कार्यक्रम सफल हो जाता है। पर इससे दाननाद और प्रेमा के बीच दूरियॉ बढ जाती है।