इंक़िलाब पसंद

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मेरी और सलीम की दोस्ती को पाँच साल का अर्सा गुज़र चुका है। उस ज़माने में हम ने एक ही स्कूल से दसवीं जमात का इम्तिहान पास किया, एक ही कॉलेज में दाख़िल हूए और एक ही साथ एफ़-ए- के इम्तिहान में शामिल हो कर फ़ेल हुए। फिर पुराना कॉलेज छोड़कर एक नए कॉलेज में दाख़िल हूए इस साल मैं तो पास हो गया। मगर सलीम सू-ए-क़िस्मत से फिर फ़ेल हो गया।