मेरा जीवन वाया टुकड़ा-टुकड़ा स्मृतियाँ

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आज 62 वर्ष की आयु में जीवन से जुड़े अतीत में झांकने के लिए मुझे स्मृतियों की खिड़की खोलनी पड़ती है। कोई सहजता से खुल जाती है, पर कोई नहीं खुलती, बहुत ज़ोर लगाना पड़ता है। बचपन, किशोरावस्था, जवानी और उसके बाद के गृहस्थ जीवन से जुड़े अनेक किस्से खिड़की खुलने पर जैसे ताज़ा हो उठते हैं। ये खट्टे-मीठे, भूले-बिसरे किस्से गुदगुदाते भी हैं, रोमांचित भी करते हैं, संवेदित भी करते हैं, दुख और अवसाद में भी ले जाते हैं, पर जीवन के संघर्ष का पाठ भी पढ़ाते हैं। ऐसे किस्से हर किसी के जीवने में होते हैं, आपके भी होंगे…