माँ - पिता द्वारा ही सन्तान का सृजन होता है . माँ - पिता ही सन्तान के जीवन की नींव होती है . माँ - पिता निस्वार्थ प्रेम , तप , त्याग , समर्पण से अपनी औलाद को सींचते हैं .