गोदान भाग 24

  • 7.1k
  • 3
  • 1.3k

गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब समाप्त हो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है। होरी का मनाना है कि जिसके पास जमीन नहीं वह गृह्स्थ नहीं ” अपने भाइयों से और फिर अपने बेटे गोबर से अलगोझे का आघात भी उस जैसे मरजाद पालक के लिए बहुत बड़ा आघात है ।