बादल बननेकी चाहमे उपर उठता धुआँ हवाके एक झोंके से रुख़ बदल लेता है... और बीखर जाता है धुआँ और फिर कभी वह ना बन पाएगा बादल और ना तो वह बरस पाएगा...!! ऐसी ही यह प्रेम कहानी है..! लिकिन इसे प्रेम कहानी कह सकते है .. हाँ भी और ना भी..!! महफ़िलमें ख़ास महेमांके तौर पर बुलाये गए कथानायक मशहूर गज़ल सिंगर है..और महफिलकी शान है I कोई एक अनजान व् बेहद खुबसूरत चहेरा सम्मोहित कर देनेवाली नज़र से देखता रहेता है..I कथानायक उस नजरसे नहीं बच पाया और उसे फ़ॉलो करते करते जा मिला..हुई चार नज़र एक...! और अचानक क्या हुआकी नायिका बिलकुल बिना बताए ही उनके हाथमे एक परचा देकर निकल पड़ी..!!! फिर मुलाक़ात हुई.. क्यों अचानक सजती संवरती हुई प्रेमकहानीका अंत हुआ... कैसे धुआं बिखर गया.. क्यों नहीं बन पाया बादल.... धुआं