इसमें कोई शक नहीं कि देश में उर्दू पत्रकारिता का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। आजादी के आंदोलन से लेकर भारत के नवनिर्माण में उर्दू के पत्रकारों और उर्दू पत्रकारिता ने अपना योगदान देकर एक बड़ा मुकाम बनाया है। इसमें बिहार की उर्दू पत्रकारिता की भूमिका भी अहम रही है। लेकिन, हकीकत यह है कि मीडिया के झंझावाद ने लोकतंत्र के चैथे खम्भे को मजबूत बनाने में उर्दू के पत्रकारों और उर्दू पत्रकारिता के योगदान को आज दरकिनार कर दिया गया है। उर्दू पत्रकारिता अपने बजूद के लिए आज हर मुकाम पर संघर्ष कर रही है.................