हर शहर कुछ कहता है … देश का दिल दिल्ली :ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का संगम स्थल दिलवालो की दिल्ली का इतिहास काफी पुराना है, प्राचीन काल से मध्यकाल तक और गुलामी के समय से आज तक दिल्ली इतिहास के पन्नो में दर्ज होती आरही है । दिल्ली पर मौर्य, गुप्त, पाल, सल्तनत वंश के साथ कई वंशों के शासकों ने शासन किया । इतिहासकारो के अनुसार दिल्ली नगर की स्थापना 11वीं शताब्दी में तोमरवंश के शासको द्वारा किया गया था, चंदरबरदाई की रचना पृथवीराज रासो में तोमर वंश राजा अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया गया है। तोमर वंश के बाद पृथ्वीराज चौहान ने दिल्ली पर शासन किया। 1192 में मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान कों पराजित कर दिल्ली पर कब्ज़ा किया । तब से 600 वर्षो तक दिल्ली पर मुसलमान शासको के अन्दर रहा , 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के समय अंग्रेजों ने दिल्ली के मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को सत्ताच्युत करके इसे अपने साम्राज्य में मिला लिया, इस तरह दिल्ली पर आग्रेजो ने कब्ज़ा कर लिया । फिर 1911 में ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी कलकत्ता से हटाकर दिल्ली लायी गई, उसी समय आधुनिक दिल्ली का नीव पड़ा, कई आधुनिक भवनों का निर्माण किया गया तथा पुरे दिल्ली कों योजनाबद्ध तरीके से बसाया गया आजादी के बाद भारत संघ की राजधानी बनाया गया ।