गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब समाप्त हो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है। इस मर्यादा के चलते ही विपन्नावस्था में भी कुश कन्या नहीं देना चाहता है । अपनी जान पर खेलकर कुल मर्यादा की रक्षा करने वाला होरी परम्पराओं ,रुढियों और धार्मिक कुरीतियों का निरीह शिकार दिखाई देता है ।