चिराग़ का जिन्न सौरभ अधीक्षक की सोच थी कि अधीक्षक हो स्टिक (यानी स्ट्रिक्ट) और बाबू हो क्विक......... दफ््तर ताइयों चलदा। लोहा और बाबू अगर बेकार पड़े रहें तो उन्हें जंग लग जाता है। लोहा गरम होने पर ही काम आता है वैसे ही बाबू भी काम करते करते गरम रहना चाहिए। वैसे भी बेकार दिमाग़ शैतान का घर। इसलिए अधीक्षक दफतर के बाबूओं को किसी न किसी काम में लगाए रखता। कुछ नहीं तो टाईप ही करवाता। दिन मेें एकाध लेटर ही टाईप के लिए होता। जब बाबू टाइप करके लाते तो चोरी से उसे फाड़ देता। नए नए