गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब समाप्त हो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है। किंतु केवल होरी ही है जो संक्रमण को समझ नहीं पाता वह सामंतवाद के मूल्यों को ही ढोता रहता है , न मरजाद को छोड़ पाता है न गॉंवको , न जमीन को और न किसानी को ही । अंतत: वो मरता भी है गॉंव को शहर से जोड़ने वाली सड़क को बनाते हुए, वही सड़क जो अंतत: गॉंव पर शहर के अधिपत्य की घोषणा है ।