गोदान भाग 14

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गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब समाप्त हो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है। गोबर का शोषण बरकरार रहता है लेकिन वो बच जाता है और उसमें प्रतिरोध का स्‍वर बना रहता है। यहॉं तक कि धनिया भी विद्रोहिणी है , वह गॉंव भर के सामने सबसे लोहा लेती है ।