वैवाहिक-प्रेम

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Rajesh Kamal rajeshkkamal@gmail.com निबन्ध: कहते हैं कि ईश्वर ने जब सृष्टि की रचना की तो सबसे अंत में अपनी सबसे खूबसूरत चीज़ बनाई – इंसान! उसने हमें न सिर्फ सुंदर शरीर दिया बल्कि विचारवान होने हेतु तर्क-शक्ति-संपन्न एक मष्तिष्क भी दिया. हमारी बुद्धि हमें शुष्क न बना दे इसलिए हमारे अन्दर भावनाओं का सागर, “हमारा मन” बनाया. आदमी आदमी इसलिए है क्योंकि उसके अन्दर आदमियत है, इंसानियत है. इसके बिना मनुष्य और पशु में क्या भेद? प्रेम हमारे मौलिक और शाश्वत गुणों में से एक है. संत-कवि कबीरदास जी कहते हैं - जो घट प्रेम न संचरे, सो घट जान