लाला मदनमोहन प्रात:काल उठते ही कुतब जानें की तैयारी कर रहे थे. साथ जानेंवाले अपनें, अपनें कपड़े लेकर आते जाते थे, इतनें मैं निहालचंद मोदी कई तकाजगीरों को साथ लेकर आ पहुँचा. इस्नें हरकिशोर से मदनमोहन के दिवाले का हाल सुना था. उसी समय से इस्को तलामली लग रही थी. कल कई बार यह मदनमोहन के मकान पर आया, किसी नें इस्को मदनमोहन के पास तक न जानें दिया और न इस्के आनें इत्तला की. संध्या समय मदनमोहन के सवार होनें के भरोसे वह दरवाजे पर बैठा रहा परन्तु मदनमोहन सवार न हुए इस्से इस्का संदेह और भी दृढ़ हो गया.