परीक्षा-गुरु - प्रकरण-22

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लाला ब्रजकिशोर उठकर कपड़े भी नहीं उतारनें पाए थे इतनें मैं हरकिशोर आ पहुँचा. क्यों ! भाई ! आज तुम अपनें पुरानें मित्र सै कैसै लड़ आए ? ब्रजकिशोर नें पूछा. इस्‍सै आपको क्‍या ? आपके हां तो घीके दिए जल गए होंगे हरकिशोरनें जवाब दिया. मेरे हां घीके दिये जलनें की इस्‍मैं कौन्‍सी बात थी ? ब्रजकिशोर नें पूछा. आप हमारी मित्रता देखकर सदैव जला करते थे आज वह जलन मिट गई क्‍या तुम्‍हारे मनमैं अब तक यह झूंटा बहम समा रहा है ? ब्रजकिशोरनें पूछा.