लाला ब्रजकिशोर न जानें कब तक इसी भँवर जाल मैं फंसे रहते परन्तु मदनमोहन की पतिब्रता स्त्री के पास सै उस्के दो नन्हें, बच्चों को लेकर एक बुढि़या आ पहुँची इस्सै ब्रजकिशोर का ध्यान बट गया. उन बालकों की आंखों मैं नींद घुलरही थी उन्को आतेही ब्रजकिशोर नें बड़े प्यार सै अपनी गोद मैं बिठा लिया और बुढि़या सै कहा इन्को इस्समय क्यों हैरान किया ? देख इन्की आंखों मैं नींद घुल रही है जिस्सै ऐसा मालूम होता है कि मानो यह भी अपनें बाप के काम काज की निर्बल अवस्था देखकर उदास हो रहे हैं उन्को छाती सै लगाकर कहा शाबास ! बेटे शाबास !