परीक्षा-गुरु - प्रकरण-20

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लाला ब्रजकिशोर मदनमोहन के पास सै उठकर घर को जानें लगे उस्‍समय उन्‍का मन मदनमोहन की दशा देखकर दु:ख सै बिबस हुआ जाता था. वह बारम्बार सोचते थे कि मदनमोहन नें केवल अपना ही नुक्सान नहीं किया अपनें बाल बच्‍चों का हक़ भी डबो दिया. मदनमोहन नें केवल अपनी पूंजी ही नहीं खोई अपनें ऊपर क़र्ज भी कर लिया. भला ! लाला मदनमोहनको क़र्ज करनें की क्‍या ज़रूरत थी ? जो यह पहलै ही सै प्रबंध करनें की रीति जान्‍कर तत्‍काल अपनें आमद खर्च का बंदोबस्‍त कर लेते तो इन्‍को क्‍या, इन्‍के बेटे पोतों को भी तंगी उठानें की कुछ ज़रूरत न थी.