कुछ देर बाद स्कूल की छुट्टी हुी तो मैं अपना बैग लेने कक्षा में गई, वहाँ से सभी बच्चे जा चुके थे, बस तुलसी खड़ी थी। मैं चुपचाप अपना बैग लेकर चलने को हुई तो तुलसी ने कहा, मीनू मैं जानती हूँ तुम चोर नहीं हो। मैंने पलट कर उसकी तरफ देखा, आँखें भरने लगी थी मेरी। अगर मैं चोर नहीं थी तो भगवान ने पर्ची में मेरा ही नाम क्यों दिखाया तुलसी कहते कहते मैं रो पड़ी।...