वास्तव में संसार में प्रत्येक वस्तु की उत्पत्ति अथवा स्थापना कुछ निश्चित उद्देश्य के पूर्ति हेतु होते हैं.उसी अनुरूप से उसमें गुण के समावेश होते हैं और अपने गुण के अनुरूप ही उनके प्रयत्न एवं कार्यशैली होती है.मानस परिवार भी पिछले बीस वर्ष से सतत सक्रिय और कार्यशील है. किंतु इसका उद्देश्य है अपने सदस्य के प्रवृति में सद्गुण की वृद्धि करना, रजोगुण और तमोगुण पर विजय दिलाना.इसलिए वह उक्त दोनों गुण प्रधान कार्य जैसे सजावट, बनावट और दिखावट से दूरी बनाये रखती है.किंतु प्रत्येक मनुष्य उपरोक्त दोनों गुण के वशीभूत होकर काम-वासना से पीड़ित रहते हैं जिससे उसी गुण प्रधान कार्य में उनकी रूचि होती है.जहाँ उस रूचि की पूर्ति नहीं होती उस वस्तु के प्रति उनमें जिज्ञासा भी नहीं जगती.