...बारिश की वजह से नाले में पानी भर गया जिसके तेज़ बहाव अपने साथ उस मोटी शाख को भी बहा ले गई। वहां तक पहुंच कर मां ने देखा कि लक्ष्मी नाले के उस पार खड़ी थी और आने के लिए परेशान हो इधर-उधर चक्कर काट रही थी। नाला अपनी उफान पर था। लक्ष्मी की समझ में नहीं आ रहा था कि उफनते नाले को कैसे पार किया जाए। उसे सही-सलामत देख कर मां की आंखे नम हो गईं। पर किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या उपाय लगाया जाए लक्ष्मी को नाला पार कराने के लिए। मां पर नज़र पड़ते ही लक्ष्मी करूण स्वर में रंभाने लगी, और इधर मां को यह चिंता सताने लगी कि कहीं लक्ष्मी उफनते नाले में कूद न पड़े।...